8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खेल जरूरी है, नहीं तो पढ़ाई के बोझ तले दब कर रह जाएगा बचपन : कपिल देव

एक कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व क्रिकेटर कपिल देव ने बच्चों के बारे में कई बाते साझा की।

2 min read
Google source verification
kapil dev

नोएडा। बच्चों को खेल में ज्यादा से ज्यादा भाग लेना चाहिए, सफलता और असफलता बाद का विषय है। बच्चों के लिए खेल जरूरी है, नहीं तो उनका बचपन पढ़ाई के बोझ तले दब कर रह जाएगा। यह बात नोएडा के सेक्टर-70 स्थित सफायर इंटरनेशनल स्कूल में द्रोणाचार्य एकेडमी और वेदर कंट्रोल स्विमिंग पूल का उद्घाटन करने पहुंचे क्रिकेट के लीजेंड कपिल देव ने कही। इस दौरान उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि स्कूल एकेडमिक के साथ-साथ खेलों को भी महत्त्व दे रहे हैं। जो कि काफी अच्छी बात है। यहां कपिल देव के स्वागत में बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये और कपिल देव ने बच्चों के साथ इंटरेक्शन करते हुए बच्चों के सवालों के जवाब दिए।

यह भी पढ़ें : दलितों पर अत्याचार के खिलाफ नोएडा में कांग्रेस का देशव्यापी उपवास शुरु

कपिल देव भी बच्चों के बीच खुद को पाकर अपने अतीत में खो गए। उन्होंने बच्चों को खेलों के बारे में टिप्स दिए और उनके जिज्ञासु प्रश्नों के भी जवाब दिए। वहीं मीडिया से बातचीत में कपिल देव ने कहा कि वह यहां बच्चों को देखने आये थे। यहां बच्चों में खेल के प्रति रूचि को देखकर खुशी मिली। आमतौर पर स्कूलों में खेल के लिए जगह की होती है, लेकिन यहां 50 प्रतिशत जगह स्पोटर्स के लिए देखकर लगा कि यहां खेलों के प्रति अधिक जागरुकता है। उन्होंने मशवरा दिया कि अधिक से अधिक बच्चों को खेलों में हिस्सा लेना चाहिए, सफलता और असफलता तो बाद का विषय है।

यह भी पढ़ें : आईपीएल 2018 : इस शहर में आईपीएल पर महिला डॉक्टर और होमगार्ड भी लगवा रहे सट्टा!

वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि द्रोणाचार्य एकेडमी का संचालन कई स्कूलों में किया जाता है। ये उन्हीं में से एक है। स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि इस एकेडमी का फायदा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के साथ साथ उन बच्चों को भी मिलेगा, जो स्कूल से जुड़े नहीं है, लेकिन क्रिकेट में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। स्कूल में ईडब्लूएस योजना के तहत पढ़ने वाले बच्चों को भी यहां खेलों की सुविधा मिलेगी। वहीं स्कूल के प्रबंधक का कहना है कि खेलों से बच्चों के चरित्र का निर्माण होता है, उन्हें जीत और हार पर बिना विपक्षी टीम की भावनाओं को आहत किये अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने की सीख मिलती है।