
दिल्ली में ही तीन बच्चियों की भूख से मौत नहीं हुई, यूपी में अमीरजहां की कहानी पढ़कर नहीं रोक पाएंगे आंसू साथ भी हुआ था ऐसा हादसा
मुरादाबाद। हाल ही में झारखंड में करीब आठ साल की एक बच्ची की मौत भूख से हो गई। बच्ची की मां का दावा था कि बीते कुछ दिनों से घर में राशन नहीं था। इस घटना के बाद काफी सवाल उठे। सामाजिक संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन भी किया, लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हुई।
इस घटना के कुछ दिनों बाद राजधानी दिल्ली से इसी तरह की एक भयावह तस्वीर सामने आई, जहां एक ही परिवार की तीन सगी बहनों की मौत भूख से हो गई। इस खबर ने देशभर में गरीबों के लिए निशुल्क खाद्य वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि विकास के राह पर चल रहे हमारे देश में सिर्फ दिल्ली या झारखंड में ही भूख से हुई मौतों के मामले सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में भी इसी साल जनवरी में एक महिला की भूख से मौत हो गई थी। तब यह खबर बहुत अधिक सुर्खियां नहीं बटोर पाई थी। सवाल तब भी उठे थे और अब भी उठ रहे हैं।
दरअसल यूपी की ये घटना इसलिए सामने नहीं आ सकी, क्योंकि हम सभी अपना गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी मनाने में व्यस्त थे। वही गणतंत्र जो आजाद भारत का सबसे बड़ा पर्व है, हमें अहसास दिलाता है कि हम स्वतंत्र है। अहसास दिलाता है विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। अहसास दिलाता है कि हम हर साल मजबूत हो रहे हैं, लेकिन बदलते भारत की तस्वीर आज भी कुछ और ही है। आइए जानते हैं कि मुरादाबाद में तब दुनिया की अमीर (जी हां, जिस महिला की भूख से मौत हुइ उसका नाम था अमीरजहां, जिसका अर्थ होता है दुनिया की अमीर) इस महिला की मौत किन परिस्थितियों में हुई।
26 जनवरी के दिन करीब-करीब पूरा देश बंद रहता है। लोग छुट्टी मनाते हैं। यहां-वहां घूमने जाते हैं। पार्टी-शार्टी करते हैं। परिवार के साथ या दोस्तों के साथ। यानी पूरी मस्ती। पूरा सुख ही सुख। कोई दुख नहीं। देशभर में ज्यादातर लोग 25 जनवरी को यही प्लान बना रहे थे कि अगले दिन क्या और कैसे करना है। लेकिन 48 साल के मोहम्मद युनुस महाराष्ट्र से यूपी आ रही एक ट्रेन में बदहवास से बैठे थे। हर थोड़ी देर पर उनके मोबाइल की घंटी बजती। दूसरी तरफ से पूछा जाता, अभी कहां पहुंचे, मुरादाबाद कब तक आओगे। जल्दी आओ। युनुस हड़बड़ाहट में बाहर देखते कि कहीं किसी स्टेशन का बोर्ड दिख जाए, ताकि वह पढ़कर बता सकें कि अभी कहां हैं। कुछ नहीं सूझता तो पास में बैठे किसी से पूछते, भईया इस समय ट्रेन कहां हैं। जो जवाब मिलता फोन करने वाले को बता देते। जैसे-जैसे फोन करने वालों की संख्या बढ़ रही थी, उनकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। डर बढ़ता जा रहा था कि आखिर हुआ क्या, कि लोग मेरे बिना बेचैन हुए जा रहे हैं। यह एक तस्वीर थी।
अब उसी समय की दूसरी तस्वीर देखिए। मुरादाबाद की जयंतीपुर कॉलोनी में सलीम कुरैशी का घर और समय शाम के करीब चार बजे का। तीन लड़कियां 14 साल की तबस्सुम, 11 साल की रहनुमा और 8 साल की मुस्कान, जो सिर्फ और सिर्फ रोए जा रहीं थीं, क्योंकि सामने जमीन पर उनकी 43 साल की मां अमीरजहां का शव रखा है। थोड़ी देर पहले ही अमीरजहां का शव मुरादाबाद के जिला अस्पताल से घर लाया गया। दो घंटे पहले वह जिंदा हालत में यहां से अस्पताल गई थीं, लेकिन वापस उनकी मृत देह आई। उनकी मौत की वजह जानना चाहते हैं आप? शायद चौंक जाएं। थोड़ी इंसानियत होगी तो शर्म भी आएगी। खुद पर और समाज पर भी। सोचेंगे कि आज भी ऐसा है...उफ्फ। लेकिन उससे ज्यादा गुस्सा आएगा, उन पर जिनकी वजह से दुनिया की इस अमीर (अमीरजहां का वास्तविक अर्थ) महिला की मौत हुई। जिनकी वजह से यह दोनों अलग-अलग तस्वीरें बनीं।
अब आप जो आगे पढ़ेंगे वह युनुस, तबस्सुम, रहनुमा और मुस्कान की जुबानी है। यह बातें उन्होंने मुझसे तब बताईं, जब मैं उनसे मिलने दिल्ली से करीब 165 किलोमीटर दूर मुरादाबाद उनके घर पहुंचा। क्यों पहुंचा, यह आपको आगे दी जाने वाली खबरों में मिलेगा। उनमें कुछ ऐसे ही दर्दनाक और शर्मनाक किस्से होंगे, जो मैं आपको एक के बाद एक बताऊंगा। हम वहां गए। सारी बात समझी। सभी पक्षों से बात की। उन्होंने जो कहा अब वह आपसे साझा कर रहे हैं। आप इसे पढ़ें, समझें और सोचें। परिवार, यार-दोस्तों से साझा भी करें। तर्क-वितर्क करें कि कौन सही है और कौन गलत।
(....तो अगले अंक में युनुस को पढि़ए, क्योंकि वही ऐसे हैैैं, जो सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिन्हें पत्नी के जाने का गम है और तीन बच्चों को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी भी।)
—
Updated on:
28 Jul 2018 11:36 am
Published on:
28 Jul 2018 11:31 am
बड़ी खबरें
View Allनोएडा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
