बता दें कि 27 वर्षीय चंचल अपनी मां के पास खोड़ा कॉलोनी में रहती हैं। उनकी मां भी सब्जी का ठेला लगाती हैं। चंचल की शादी 2019 में दादरी के छायांसा गांव के एक शख्स से हुई थी, वह उन्हें बहुत परेशान और प्रताड़ित करता था। चंचल ने बताया कि उनका केस कोर्ट में चल रहा है। वह कहती है कि सम्मान से जीवन यापन करने के लिए कमाना जरूरी था। इसलिए उसने पहले एक निजी कंपनी में काम किया, लेकिन बच्चा होने के बाद उसके सामने दोहरी चुनौती आन खड़ी हुई। बच्चे को कंपनी में नहीं ले जा सकती थी और एक जगह बैठने वाला अपना काम करने के लिए पैसे नहीं थे। इसी बीच उसे किराए पर ई-रिक्शा मिलने की जानकारी मिली।
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नेता घर मंगाकर खा रहे जेल की कच्ची-पक्की रोटी, चौंकाने वाली है वजह बच्चे के लिए दूध, डायपर, कपड़े, तौलिया आदि सब लेकर चलती है साथ चंचल को तीन सौ रुपये प्रति दिन के किराए पर ई-रिक्शा मिल गया। इसके बाद उसने बच्चे के लिए बेबी सीटर खरीदा और सेक्टर-62 लेबर चौक से एनआइबी चौकी वाले रूट पर सुबह करीब साढ़े सात से शाम आठ बजे तक ई-रिक्शा चलाने लगी। चंचल कहती हैं कि मेरा बच्चा हमेशा मेरी आंखों के सामने रहे। वह बच्चे के लिए दूध, डायपर, कपड़े, तौलिया आदि सामान साथ लेकर चलती है। मौसम खराब होता है तो छुट्टी करनी पड़ती है। गर्मियों में वह बीच-बीच में बच्चे को लेकर पार्क में बैठ जाती है। चंचल बताती है कि वैसे तो बच्चे को लेकर ई-रिक्शा चलाने की आदत हो गई है, लेकिन डर हर समय लगा रहता है। सड़क पर कभी भी कुछ हो सकता है। ई-रिक्शा भी तीन पहिया होने से पलटने का भी डर रहता है। कोई विकल्प नहीं होने के कारण काम के साथ बच्चे को साथ चलना मजबूरी है।
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Azam Khan के सुरक्षा वापसी पर योगी के मंत्री ने कसा तंज, जानें क्या कहा अन्य ई-रिक्शा वालों ने किया था विरोध चंचल शर्मा का कहना है कि जब ई-रिक्शा चलाना शुरू किया तो कई रिक्शा चालकों ने विरोध किया और उसे एक निश्चित रूट पर रिक्शा नहीं चलाने दिया। लेकिन, ट्रैफिक पुलिस की मदद के बाद सब ठीक हो गया। चंचल को प्रतिदिन ई-रिक्शा का तीन सौ रुपये किराया देना पड़ता है और आमदनी छह से सात सौ रुपये होती है। आधी कमाई किराए में चली जाती है। उसके बाद जो पैसा बचता है, उससे खर्चा चलाती है।