
बिजनौर। गर्मी का मौसम शुरु हो चुका है और चिलचिलाती गर्मी लोगों को सताने लगी है। वहीं अब गर्मी बढ़ते ही चिकन पॉक्स के वायरस का कहर भी शुरू हो गया है। जिसके चलते जिले भर में बच्चों को वायरस अपनी चपेट में ले रहा है। जिसके चलते चिकन पॉक्स से पीड़ित बच्चे हर रोज जिला अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं।
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गर्मी बढ़ते ही सक्रीय हो जाते हैं वायरस
डॉक्टरों का कहना है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे ही चिकन पॉक्स के वायरस सक्रिय हो जाते हैं। इसकी चपेट में लगातार बच्चे आ रहे हैं। वहीं इस बीमारी से ग्रस्त होने पर कई लोग इसे दैवीय प्रकोप मानकर बच्चे का घर पर अलग-अलग तरीके से उपचार कर रहे हैं। वहीं कई लोग बच्चों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में उपचार के लिए लेकर पहुंच रहे हैं।
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यह हैं लक्षण
चिकन पॉक्स होने पर रोगी के पूरे शरीर में दाने जैसे हो जाते हैं और तेज बुखार होने लगता है। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टरों से सपंर्क करना चाहिए। इसका उपचार लेने के बावजूद रोगी को तीन से चार सप्ताह बाद ही आराम मिल पाता है। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. के.के सिंह का कहना है कि चिकन पॉक्स वायरस से ग्रस्त होने पर रोगी को सबसे पहले तेज बुखार आने लगता है और शरीर में बेतहाशा दर्द होता है।
उसके कान के पीछे दाने दिखाई देते हैं। फिर इसके बाद गर्दन, चेहरे और बाद में पूरे शरीर पर भी दाने दिखाई देने लगते हैं। इन दानों में पानी होता है। पहले सप्ताह रोगी को दवा असर करती है, लेकिन फिर दूसरे और तीसरे सप्ताह दवा बेअसर साबित होती है। हालांकि तीन से चार सप्ताह बाद रोगी स्वत: ही ठीक होने लगता है।
बचने के लिए आसपास रखें सफाई
डा. केके सिंह का कहना है कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण चिकन पॉक्स की चपेट में आते हैं। हालांकि कई मामलों में बड़े भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। रोगी की छींक व खांसी से भी चिकन पॉक्स के वायरस फैलते है। इससे रोगी के परिवार के अन्य सदस्य भी इसकी चपेत में आ सकते हैं।
Published on:
15 May 2018 04:57 pm
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