नोएडा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की नजर है। या यूं कहें कि देश के बाहर से भी लोग इस चुनाव में रूचि ले रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि बीते चार महीनों से समाजवादी पार्टी और यादव परिवार में लड़ाई चली आ रही है। चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है लेकिन यादव परिवार में अभी तक समझौते के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। अखिलेश चाहते हैं कि शिवपाल और अमर सिंह पार्टी से अलग रहें। लेकिन अखिलेश अपनी लड़ाई में अकेले नहीं हैं। उनका साथ दे रहे हैं एक विदेशी प्रोफेसर। दरअसल हार्वड कैनेडी स्कूल में पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर स्टीव जॉर्डिंग अखिलेश के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने में दिन रात लगे हुए हैं।

बता दें कि स्टीव और अखिलेश के बीच चुनावों को लेकर अगस्त 2016 से बातचीत चल रही है। वह लगातार अखिलेश को सलाह देते आ रहे हैं। स्टीव पांच बार लखनऊ में अखिलेश से मिल चुके हैं। वह इसी दौरान अखिलेश के साथ एटा भी गए, बताया जाता है कि कई बार दोनों की दिल्ली में भी मुलाकात हो चुकी है। स्टीव जॉर्डिंग दुनिया के जाने माने राजनीतिक सलाहकार हैं। इससे पहले वह बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी राजनीतिक सलाह दे चुके हैं। यूपी में स्टीव के इस काम को उनके पूर्व स्टूडेंट एडवेट विक्रम सिंह संभाल रहे हैं। इसके साथ ही सौ लोगों की टीम अखिलेश के लिए रणनीति तैयार करने में लगी है। लेकिन यूपी में ये काम इतना आसान नहीं है। स्टीव और अखिलेश दोनों के सामने कई चुनौतियां हैं।
मोदी पर है निशाना
स्टीव जार्डिंग की पूरी टीम यूपी के गांव देहात के इलाकों का दौरा कर लोगों में अखिलेश के पक्ष में लहर बनाने में लगी है। स्टीव की टीम के कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी सत्ता संभालने के बाद से लगातार गांव के लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। स्टीव की टीम के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती लोगों में अखिलेश के प्रति विश्वास पैदा करने की है। यह टीम लगातार इस पर काम कर रही है।
30 लाख का टारगेट
अखिलेश के लिए स्टीव की टीम दिन रात काम कर रही है। टीम ने यूपी के सभी पोलिंग सेंटर की गिनती की। ये संख्या लाखों में है। टीम ने इन सभी सेंटरों को जाति के आधार पर दस भागों में विभाजित किया गया है। विभाजन में पिछले चुनावी माहौल के साथ ही डमोग्राफिक्स और समाजवादी पार्टी के केडरों का ध्यान रखा गया है। हर पोलिंग सेंटर के हिसाब से अगल योजना तैयार की गई है। इसके लिए पूरे राज्य से पार्टी कार्यकर्ताओं को जुटाया गया है। जनवरी के अंत तक 30 लाख पार्टी कार्यकर्ता एक जुट करने का लक्षय रखा गया है।
ऐसे काम कर रही है टीम
स्टीव की टीम बीते साल नवंबर से काम कर रही है जिसका असर अब सतह पर दिखने लगा है। स्टीव की पूरी टीम स्मार्टफोन से जुड़कर काम कर रही है और यूपी में लागू हुई तमाम योजनाओं को हथियार बनाते हुए लोगों को जागरुक कर रही है। जब शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से रिप्लेस किया था तभी अखिलेश ने अपने कार्यकर्ताओं को समाजवादी विकास योजना प्रमुख के रूप में परिवर्तित कर दिया था। यह योजना प्रमुख लोगों को जागरुक कर रहे हैं। यह सभी लोग स्टीव की टीम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। टीम का सारा काम वाटसएप, एसएमएस और आइवीआर कॉल्स की जरिए पूरा किया जाता है। इस टीम के बनने के बाद से अप्रत्यक्ष तौर पर पार्टी की कार्यसंरचना और प्रणाली पूरी तरह से बदल चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, यूपी सरकार ने एक फीडबैक सिस्टम तैयार किया है। ये योजना प्रमुख लोगों की शिकायतों को फीडबैक सिस्टम तक पहुंचाते हैं और उनका निराकरण करने का प्रयास करते हैं। इससे लोगों तक योजना का लाभ तो पहुंच ही रहा है अखिलेश की छवि भी सुधर रही है।
मोटरसाइकिल हो सकता है चिन्ह
अखिलेश की यह टीम पूरे राज्य में उनके लिए काम कर रही है। इसी टीम के भरोसे वह अपने पिता और चाचा से भी टकरा गए हैं। अब यह लड़ाई चुनाव चिन्ह पर अटकी है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव मोटरसाइकिल को नया चुनाव चिन्ह बना सकते हैं। इसके पीछे यह सोच मानी जा रही है कि वह साइकिल से तरक्की करके मोटरसाइकिल तक पहुंच गए हैं और यह विकासवादी छवि पेश करेगा।
अखिलेश को यह समझाया गया
स्टीव ने शुरु में ही अखिलेश को समझा दिया था कि उन्हें सत्ता अपने हाथ में लेनी होगी। अगर वह केवल अपने पिता और चाचा का विरोध करेंगे तो इससे यह मैसेज जाएगा कि वह केवल विरोध कर सकते हैं, पर सत्ता नहीं संभाल सकते हैं। इस कारण अखिलेश ने कौमी एकता दल के विलय का विरोध किया। इसके साथ ही सूत्रों का कहना है कि स्टीव ने कभी अखिलेश को यह नहीं समझाया कि अपने पिता या चाचा से कैसे बात करनी है। हालांकि अखिलेश को यह जरूर समझाया गया कि कभी भी परिवार के खिलाफ कुछ भी न कहें और साथ ही जनता को यह भी एहसास कराते रहें कि जनता की भलाई उनके लिए परिवार से बढ़ कर है। यही कारण है कि बीते अक्तूबर में अखिलेश ने एक सभा के दौरान कहा था कि, यूपी ही मेरा परिवार है।
प्रतिद्वंदियों को ऐसे कर रहे मैनेजस्टीव की टीम ने अखिलेश गुट को टिकट बंटवारे की खरीद-फरोख्त से दूर रखा और हर विधानसभा के लिए अच्छा उम्मीदवार की तलाश की। बता दें कि टीम स्टीव द्वारा सुझाए गए कुछ प्रत्याशियों के नामों का विरोध अखिलेश ने भी किया था लेकिन सबसे अहम बात यह थी कि टीम विपक्ष की रणनीति को ध्यान में रखकर चल रही है। बता दें कि हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा 20 से 40 दावेदार पेश कर रही है। भाजपा को सपा काका मुख्य प्रतिद्वंदी मानते हुए स्टीव की टीम लोगों में भाजपा की छवि खराब करने और सपा की छवि सुधारने का प्रयास कर रही है।