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चमचमाती सोसायटियों के महंगे फ्लैट भी बने जानलेवा, मानसून ने खोली घटिया कंस्ट्रक्शन की पोल

एक बारिश में ही गिर गई दीवार, रहवासियों में फैली दहशत

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Lumeria Garden Society

चमचमाती सोसायटियों के महंगे फ्लैट भी बने जानलेवा, मानसून ने खोली घटिया कंस्ट्रक्शन की पोल

नोएडा. ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में दो फ्लैट गिरने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब जर्जर हालत की वजह से ग्रेटर नोएडा के पाई-2 स्थित प्लूमेरिया गार्डन सोसायटी के लोग दहशत में आ गए हैं। दरअसल, दूर से चमचमाती नज़र आने वाली इमारतों की इस मानसून में परत-दर-परत खुलती जा रही है। बिल्डरों ने बड़े-बड़े दावे करके लोगों को फ्लैट बेच दिए। लोगों की जान जोखिम में डालकर इन फ्लैट में रहने के लिए मजबूर हैं। ग्रेटर नोएडा के पाई-2 स्थित प्लूमेरिया गार्डन सोसायटी के लोग तेज बारिश के बाद जल भराव की समस्या से जुझना पड़ रहा है। इस पॉश सोसायटी के बेसमेंट में एक बारिश में ही पानी भर गया। इससे यहां के लोग परेशान हो गए। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले यहां के बेसमेंट की एक दीवार सीलन की वजह से गिर चुकी है। वहीं, बारिश में लिफ्ट नहीं काम करने से इस सोसायटी के लोग परेशान है। इन लोगों की न तो बिल्डर सुनता और नहीं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी इनकी सुध ले रहा है।

तस्वीरों में आप प्लूमेरिया गार्डन सोसायटी के बेसमेंट की दशा देख सकते हैं। सीलन से बेसमेंट की कई दीवारें खराब होती नजर आ रही हैं। नींव में पानी जा रहा है। सीलन और खराब निर्माण के कारण पिलर भी डैमेज दिख रहे हैं। ऐसे में यहां की बिल्डिंग भी धंस सकती है। इस बिल्डिंग के डी टावर में रहने वाली डॉ मुनिराम कहते हैं कि डेरेनेज इस सोसाइटी की बड़ी समस्या है।

पानी की निकासी होती ही नहीं है, जिसके कारण बेसमेंट में पानी भरने से 20 मीटर की दीवार गिर चुकी है। इसी सोसाइटी के सातवें फ्लोर पर रहने वाली पारुल अग्रवाल कहती है कि बारिश होते ही सोसाइटी में पानी भर जाता है और लिफ्ट भी काम करना बंद कर देती है। ऐसे में सीढीयों से फ्लैट तक पहुचना सबसे बड़ी मुसीबत है।

प्लूमेरिया गार्डन सोसायटी के बेसमेंट की दीवार रविवार को गिरने से इस हाईराइज सोसायटीज की कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी पर पहले ही सवाल खड़े हो चुके हैं। लेकिन अभी तक इनके खिलाफ किसी तसह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गौरतलब है कि बिल्डरों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी अथॉरिटी की है, लेकिन बिल्डिंग सेल से नक्शा पास कराने के बाद यहां कितने फ्लोर अधिक बनाए गए और निर्माण में किस तरह की घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, इस ओर कभी भी अथॉरिटी का न तो ध्यान गया और न ही इस बिल्डर के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की गई।