नारायण सिंह सर्कल की तरह सिंधी कैंप बस स्टैंड के बाहर लगने वाला निजी बसों का जमावड़ा भी परेशानी का सबब बना हुआ है।
Sindhi Camp Bus Stand: राजधानी जयपुर में नारायण सिंह सर्कल बस स्टॉप (Narayan Singh Circle) हटाने की बातें वैसे तो कई साल से की जा रही थीं। लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद महज 15 दिन में बस स्टॉप हटा दिया गया। नारायण सिंह सर्कल की तरह सिंधी कैंप बस स्टैंड के बाहर लगने वाला निजी बसों का जमावड़ा भी परेशानी का सबब बना हुआ है। कई दशक से शहर इस समस्या को झेल रहा है। यह जाम दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सुबह से देर रात तक यहां निजी बसों का शोर-शराब रहता है। सड़क पर अवैध पार्किंग से बसों का कब्जा रहता है।
आलम यह है कि यहां से निकलने में वाहन चालक भी कतराते हैं। सिंधी कैंप के बाहर पूरी सड़क निजी बस ऑपरेटर्स के कब्जे में रहती है। परिवहन विभाग और पुलिस की ओर से इस कब्जों को आज तक नहीं हटवाया गया। ऐसे में सरकार अगर नारायण सिंह सर्कल बस स्टॉप की तरह यहां के लिए भी निर्देश जारी करे तो समस्या का समाधान होगा।
प्रदेश के सबसे बड़े बस स्टैंड सिंधी कैंप के बाहर का क्षेत्र नो पार्किंग जोन होने के बावजूद यहां अवैध रूप से निजी बसें खड़ी हो रही हैं। रोडवेज प्रबंधन इसका खमियाजा उठा रहा है, उसको राजस्व की हानि हो रही है। एक मार्च 2006 को तत्कालीन जिला कलक्टर राजेश्वर सिंह ने सिंधी कैम्प बस स्टैंड के सामने की सड़क पर एक किलोमीटर के हिस्से को नो पार्किंग जोन घोषित किया था। चांदपोल से रेलवे स्टेशन, गवर्नमेंट हॉस्टल से चांदपोल और वनस्थली मार्ग को भारी वाहनों के लिए नो पार्किंग जोन घोषित किया था। इतने साल गुजरने के बाद भी आदेश की पालना नहीं हो पाई।
निजी बस संचालक सिंधी कैंप के बाहर सड़क पर कैनोपी लगाकर दलालों के जरिये टिकट बुक कर रहे हैं। कई बार तो ये दलाल बस स्टैंड परिसर में जाकर टिकट काटते हैं। पकड़े जाने पर रोडवेज प्रबंधन इनके खिलाफ एफआइआर करवाता है, लेकिन कुछ दिन बाद हालात जस के तस हो जाते हैं। इससे न केवल सड़क पर जाम लगा रहता है, बल्कि रोडवेज को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। खास बात है कि काउंटर लगाने का लाइसेंस भी आरटीओ की ओर से दिया जाता है। लाइसेंस कुछेक के पास ही है।
सिंधी कैंप बस स्टैंड से रोडवेज की 900 बसों के साथ अन्य राज्यों की 350 बसें रोजाना संचालित होती हैं। बस स्टैंड के बाहर से लोक परिवहन की बसों के साथ अन्य निजी बसें और शाम को स्लीपर भी चलती हैं। इनमें से अधिकांश बसें वे हैं जिनके पास परमिट टूरिस्ट या कॉन्ट्रेक्ट कैरिज का है। ऐसे में ये बसें नियमों के मुताबिक सिंधी कैंप से बाहर की सवारियां नहीं उठा सकतीं।