
anil kumble
नई दिल्ली। टीम इंडिया के चीफ कोच अनिल कुंबले ने खिलाड़ियों को साफ हिदायत दी है कि भारतीय ड्रेसिंग रूम में भारतीय परंपरा दिखनी चाहिए। जो सीनियर हैं, उन्हें सम्मान दें और जो जूनियर्स हैं उन्हें प्यार दें। साथ ही कुंबले ने साफ किया कि हर खिलाड़ी अपनी बात खुलकर सभी के सामने रख सकता है। एक अंग्रेजी अखबार के साथ अनिल कुंबले ने अपने विचार रखे।
— कोचिंग की जॉब का का ख्याल कैसे आया
कोचिंग का जॉब चुनने का विचार मुझे इस साल यूरोप में छुट्टियां बिताने के दौरान आया था। वाइफ ने भी मेरा समर्थन किया। अगर वाइफ और बच्चे समर्थन नहीं करते तो इस काम को हाथ में लेना आसान नहीं होता।
— आप खिलाड़ी भी रह चुके हैं और अब कोच भी हैं। दोनों में क्या अंतर है
कोच और प्लेयर में बहुत फर्क होता है। मैं आरसीबी और मुंबई इंडियन्स के साथ काम कर चुका हूं। ऐसे में मुझे काफी जानकारी है। एक कोच को प्लेयर्स के साथ फ्रेंडली रहना और उनके बीच दोस्ती बनाए रखना बहुत जरूरी है। सही प्लानिंग बहुत जरूरी है।
— आप कोचिंग के लिए किससे इंस्पायर्ड हुए
मैं जॉन राइट की कोचिंग स्टाइल को बहुत पसंद करता हूं। उनके पास नए आइडियाज होते थे। वो नेट्स पर भी पूरी तैयारी के साथ पहुंचते थे। फील्डिंग और बॉलिंग ग्रुप बनाकर प्रैक्टिस कराना उनकी खूबी थी। इसके अलावा वो कभी अपने आइडियाज प्लेयर्स पर थोपते नहीं थे।
— आप कैसी टीम बनाना चाहते हैं
मैं ऐसी टीम चाहता हूं जिसमें भारतीयता नजर आए। उसमें हमारा कल्चर होना चाहिए। सीनियर्स की रिस्पेक्ट हो। साथ ही, हर किसी को अपनी बात खुले तौर पर कहने की छूट हो। मैं स्कूल मास्टर की तरह टीम को नहीं चलाना चाहता।
— स्लेजिंग आज के दौर के क्रिकेट का हिस्सा है, आप क्या सोचते हैं
स्लेजिंग गलत नहीं है, इसमें सभ्यता होनी चाहिए।
Published on:
06 Jul 2016 01:02 pm
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