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टेस्ट में गुलाबी गेंद के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हैं गंभीर

गंभीर का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट जैसा है उसे वैसा ही रहने देना चाहिए और उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए

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Kamal Singh Rajpoot

Sep 15, 2016

Gambhir

Gambhir

नई दिल्ली। गुलाबी गेंद से पहली बार खेली गई दलीप ट्रॉफी में खिताब जीतने के बावजूद इंडिया ब्लू के कप्तान और अनुभवी बल्लेबाज गौतम गंभीर टेस्ट क्रिकेट में गुलाबी गेंद के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हैं। गंभीर का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट जैसा है उसे वैसा ही रहने देना चाहिए और उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए।

टेस्ट क्रिकेट इस समय प्रयोग के दौर से गुजर रहा है और गुलाबी गेंद से दिन-रात के प्रारूप में टेस्ट मैच कराए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में विचार-विमर्श चल रहा है। भारत ने अपने घरेलू क्रिकेट में इसकी शुरुआत दलीप ट्रॉफी के साथ की है। पहली बार गुलाबी गेंद से दिन-रात के प्रारूप में खेले गए दलीप ट्रॉफी का समापन बुधवार को इंडिया ब्लू की जीत के साथ हुआ। ब्लू ने ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक क्रिकेट स्टेडियम में इंडिया रेड को फाइनल में 355 रनों से मात देकर खिताब अपने नाम किया।

राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को जूनियर टी-20 लीग टूर्नामेंट 'आईजेपीएल' के उद्घाटन के मौके पर गंभीर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैं टेस्ट क्रिकेट में बदलाव के पक्ष में नहीं हूं। मेरा मानना है कि इसे दिन में लाल गेंद से ही खेला जाना चाहिए। आप एकदिवसीय और टी-20 में बदलाव कर सकते हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट जैसा है वैसा ही रहना चाहिए। उन्होंने कहा, गुलाबी गेंद, लाल गेंद की अपेक्षा दिन में ज्यादा दिखती है क्योंकि इसका रंग चटख है। आप इसका इस्तेमाल टी-20 में कर सकते हैं। गुलाबी गेंद से खेलने में ज्यादा मजा नहीं आता।"

गंभीर ने इससे पहले कहा था कि लाल गेंद और गुलाबी गेंद में ज्यादा अंतर नहीं है। लोगों ने गुलाबी गेंद के बारे में कुछ ज्यादा ही बातें की थीं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हैं। दोनों गेंदों का पिच पर व्यवहार लगभग समान हैं।

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