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10 टन वजनी प्रक्षेपण यान के विकास में जुटा इसरो

नया रॉकेट एचएलवी एरियन-5 जैसा ही ताकतवर होगा जो आने वाले दिनों में देश को भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर   बना देगा

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Manjoor Ahamad

May 31, 2015

ISRO

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बेंगलूरु
. चंद्रमा और मंगल के लिए पहले मिशन को अंजाम देने के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की कोशिश में जुटा है। स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के विकास में मिली सफलता ने इसरो की इस मुहिम को नई दिशा दी है। अगले साल तक चार टन वजनी उपग्रह के प्रक्षेपण में सक्षम स्वदेशी रॉकेट के परीक्षण की तैयारी में जुटा इसरो अब 10 टन वजनी उपग्रह के प्रक्षेपण सक्षम रॉकेट का भी विकास कर रहा है। इसरो का नया रॉकेट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रक्षेपण यान एरियन-5 जैसा ही ताकतवर होगा। इसरो का यह हैवी लिफ्ट लांच व्हीकल (एचएलवी) आने वाले दिनों में देश को भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर बना देगा।


क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक को और ज्यादा पुख्ता करने में जुटा इसरो


जीएसएलवी मार्क-3 का प्रयोगिक प्रक्षेपण वर्ष 2016 में

इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भविष्य में निर्मित होने वाले उपग्रहों का वजन 6 टन के लगभग होगा। इसरो द्वारा विकसित किए जा रहे भूस्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-3 अधिकतम 4 टन वजनी उपग्रहों को ही पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के योग्य होगा। जीएसएलवी मार्क-3 का प्रयोगिक प्रक्षेपण वर्ष 2016 में प्रस्तावित है। जीएसएलवी मार्क-3 के विकास से चार टन वजनी संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भरता तो मिल जाएगी मगर भविष्य में निर्मित होने वाले 6 टन वजनी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एचएलवी का विकास आवश्यक है।


जीएसएलवी मार्क- 3 का ही नया अवतार होगा एचएलवी

इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नए सिरे से एकदम अलग एचएलवी के विकास के बजाय मॉड्यूलर दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं। यानी जीएसएलवी मार्क-3 की प्रक्षेपण क्षमता में क्रमश: वृद्धि कर उसे 10 टन किया जा सकता है। जीएसएलवी मार्क-3 के पूर्ण विकसित होने के बाद उसमें ज्यादा ताकतवर सेमी क्रायोजेनिक इंजन जोड़कर उसकी प्रक्षेपण क्षमता 4 टन से 6 टन की जाएगी। इसमें सफलता मिलने के बाद उससे भी अधिक ताकतवर क्रायोजेनिक इंजन का विकास किया जाएगा, जो 10 टन वजनी उपग्रहों को भी पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने योग्य होगा।
इसरो के इंजीनियर आवश्यकता और जरूरत के अनुसार जीएसएलवी मार्क-3 के अलग-अलग संस्करण तैयार करेंगे। गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के प्रक्षेपण यान एरियन-5 की प्रक्षेपण क्षमता 16 टन तक है।


अगले महीने 5 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा इसरो
इसरो के प्रक्षेपण यान

1. पीएसएलवी - अधिकतम प्रक्षेपण क्षमता 16 00 किलोग्राम (ऑपरेशनल)

2. जीएसएलवी (मार्क-2)-2500 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रहों को जीएसओ में स्थापित करने की योग्यता। (विकसित मगर ऑपरेशनल नहीं)

3. जीएसएलवी (मार्क-3)- 4 टन वजनी संचार उपग्रहों को जीटीओ में स्थापित करने की योग्यता। (विकास के क्रम में, दो चरणों का विकास पूर्ण, क्रायोजेनिक इंजन सी-25 का सफल परीक्षण पूरा)

4. एचएलवी -10 टन वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की योग्यता (प्रस्तावित)

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