इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नए सिरे से एकदम अलग एचएलवी के विकास के बजाय मॉड्यूलर दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं। यानी जीएसएलवी मार्क-3 की प्रक्षेपण क्षमता में क्रमश: वृद्धि कर उसे 10 टन किया जा सकता है। जीएसएलवी मार्क-3 के पूर्ण विकसित होने के बाद उसमें ज्यादा ताकतवर सेमी क्रायोजेनिक इंजन जोड़कर उसकी प्रक्षेपण क्षमता 4 टन से 6 टन की जाएगी। इसमें सफलता मिलने के बाद उससे भी अधिक ताकतवर क्रायोजेनिक इंजन का विकास किया जाएगा, जो 10 टन वजनी उपग्रहों को भी पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने योग्य होगा।