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आखिरी मैच के बाद भी सचिन ने की थी अपने भाई से बातचीत

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने नवंबर 2013 में अपने आखिरी 200 वां टेस्ट मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था।

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Kamal Singh Rajpoot

Feb 20, 2016

Sachin Tendulkar

Sachin Tendulkar

मुंबई। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने नवंबर 2013 में अंतरराष्ट्रीय मैंचों से संन्यास ले लिया था। सचिन ने बताया, अपने आखिरी मुकाबले में आउट होने के बाद उन्होंने अपने भाई अजीत तेंदुलकर से बातचीत की थी। जबकि उनको पता था कि आगे वे कभी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलेंगे। गौरतलब है कि सचिन ने अपने आखिरी 200 वां टेस्ट मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था।

क्रिकेट में मिली शोहरत में भाई का बहुत बड़ा हाथ
सचिन ने बताया कि अपने आखिरी टेस्ट मैच में आउट होने के बाद भी हमने आउट होने के बारे में बातचीत की। बातचीत में इस चीज का भी जिक्र हुआ कि मैं कैसे अपने आपको आउट होने से बचा सकता था। सचिन ने खुलासा किया कि आज मुझे क्रिकेट में जो शोहरत मिली है उसमें मेरे भाई का बहुत बड़ा हाथ है।

उन्होंने कहा, मैंने अपने भाई अजीत की वजह से ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था। पहले मैं अपने भाई की तरह बनना चाहता था। जब क्रिकेट मैच देखना शुरू किया, उस समय भारत ने वर्ल्ड कप जीता था। मैं ट्रॉफी अपने हाथ में उठाना चाहता था। मैंने वहीं से अपने इस सपने का पीछे दौडऩा शुरू कर दिया।

सचिन ने इस तरह की क्रिकेट की शुरुआत
भारतीय बल्लेबाज ने अपने क्रिकेट की शुरुआती दिनो के बारे में चर्चा करते हुए कहा, शुरुआत में मेरा भाई ही मुझे कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गया था। स्कूली दिनों में आचरेकर सर हमेशा मेरे साथ थे, लेकिन स्कूल के बाद मैं उनसे दूर हो गया। उन्होंने मुंबई रणजी टीम और भारतीय टीम के साथ ट्रेवल करना शुरू किया। उन्होंने कहा, आचरेकर सर के साथ समय नहीं मिलने के कारण मेरी ज्यादा चर्चा मेरे भाई के साथ ही होती थी।

उन्होंने कहा, भाई अजित के साथ चर्चा के दौरान दोनों में कई बार बहस भी हो जाती थी क्योकि कई बार ऐसे मौके आए जब हम दोनों कि उस मुद्दे पर राय अलग- अलग होती थी। यहां तक कि वो मुझे क्रिटिसाइज भी करते थे लेकिन हम आपस में हर मुद्दे पर चर्चा करते थे क्योंकि मै जानता वो जो भी बात कहते थे वो मेरे अच्छे के लिए ही कहते थे।

रिटायरमेंट के बाद सबसे पहले ये किया

तेंडुलकर ने कहा, जब मैंने रिटायरमेंट लिया, उसके अगले दिन सुबह मैंने एक कप चाय बनाई। मैं उठा, अपनी बालकनी में बैठा। यह आरामदायक था। मैंने ये चीजें करना जारी रखीं।



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