आइएसएस में पहला कदम रखते ही हर भारतीय का गौरव तो बढऩे वाला ही है, यह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक भी होगा।
क रोड़ों देशवासियों की उम्मीदों के साथ भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) के लिए रवाना हो गए। आइएसएस में पहला कदम रखते ही हर भारतीय का गौरव तो बढऩे वाला ही है, यह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक भी होगा। छह बार टाले जाने के बाद शुभांशु शुक्ला ने तीन अन्य यात्रियों के साथ बुधवार को उड़ान भरी। वे करीब 28 घंटे की यात्रा के बाद गुरुवार को आइएसएस पहुंचेंगे। शुभांशु आइएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। वहीं अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। शुक्ला से पहले राकेश शर्मा ने वर्ष 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेस क्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।
इस यात्रा के 41 साल के इंतजार के बाद अब यह पल आया है। याद रखा जाना चाहिए कि 20 जुलाई, 1969 को चांद पर पहला कदम रखते हुए नील आर्मस्ट्रांग ने कहा था, मनुष्य का एक छोटा-सा कदम मानव जाति के लिए लंबी छंलाग है। आज यही कदम भारत भी तेजी से आगे बढ़ा रहा है।
शुभांशु 14 दिन आइएसएस पर रहेंगे। वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अन्य भारतीय संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए 7 प्रयोग करेंगे। ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) में जैविक, कृषि, मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर से जुड़े हैं और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इसके साथ ही नासा के 5 प्रयोग में भी वे शामिल होंगे। भारत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर इंसानों को भेजने के लिए मिशन गगनयान की घोषणा कर चुका है। शुभांशु की ट्रेनिंग और आइएसएस पर अनुभव गगनयान मिशन के लिए बहुत उपयोगी होगा। शुभांशु की ट्रेनिंग से हमारे यात्रियों की टीम को अंतरिक्ष में मानव सुरक्षा और मिशन सफलता के लिए जरूरी कौशल मिलेगा और मिशन गगनयान की तैयारियां बेहतर होंगी। मोटे तौर पर कहना होगा कि शुभांशु की यह यात्रा सिर्फ एक उड़ान ही नहीं है बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) के एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रखने का संकेत भी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह मिशन भारत को वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक मसलों पर फायदेमंद साबित होगा। इसके साथ ही भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती भूमिका को मजबूत करेगा। निश्चित ही भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी यह अहम कदम है।
शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन को लेकर पहले ही कहा था कि मुझे सच में विश्वास है कि मैं भले ही एक व्यक्ति के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह 1.4 अरब लोगों की यात्रा है। जैसा की शुक्ला ने कहा भी है कि इस अभियान से देश में एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा जागृत होगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा जो भविष्य में ऐसे कई प्रोजेक्ट को संभव बनाएगा।