
लोगों में अमृता देवी जैसी सोच हो
अमृता देवी विश्नोई ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने परिवार सहित बलिदान देकर एक अमिट उदाहरण प्रस्तुत किया। आज आवश्यकता है कि अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए युवाओं में अमृता देवी जैसी सोच विकसित की जाए, अन्यथा यह धरोहर इतिहास तक सीमित रह जाएगी। अरावली संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सही से व्याख्या की जाए। यदि यह फैसला ऐसा ही रह गया तो इससे जुड़े राज्यों में गंभीर प्राकृतिक आपदाएं और व्यापक जनहानि की आशंका बढ़ सकती है। - प्रियव्रत चारण, जोधपुर
अरावली ग्रीन वॉल बनाई जाए
अरावली पर्वतमाला का वैज्ञानिक मानचित्रण व पर्यावरण प्रभाव का आकलन अनिवार्य करना होगा। इसके बाद अवैध खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, स्थायी खनन प्रबंधन योजना बनाना और खनन बाद बहाली सुनिश्चित करनी चाहिए। अरावली ग्रीन वॉल से हरित आवरण बढ़ाकर वन्यजीव सुरक्षित करने होंगे। सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना और एनजीटी आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए। ये कदम जलवायु संतुलन को बनाए रखने के साथ ही अरावली के संरक्षण में भी सहायक होंगे। - राजेन्द्र कुमार जांगिड़
कानून का क्रियान्वयन हो
अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के लिए अवैध खनन पर सख्त रोक लगानी होगी। बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, जलस्रोतों का संरक्षण, वन्यजीव आवास सुरक्षित करना पारिस्थितिक तंत्र के लिए जरूरी है। प्रदूषण नियंत्रण, स्थानीय समुदाय की भागीदारी, पारंपरिक ज्ञान का उपयोग, तथा प्रभावी कानूनों का कठोर क्रियान्वयन आवश्यक है। इस प्रकार पर्यावरण संतुलन बना रहेगा और भविष्य की पीढ़ियां सुरक्षित रह सकेंगी। साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होंगा। - डॉ अभिनव शर्मा, झालावाड़
अरारवली जीवन रेखा है
अरावली संरक्षण के लिए पहला कदम अवैध खनन और पेड़ों की कटाई का विरोध करें। इन्हें रोकने के लिए सरकार अवैध रूप से पहाड़ों को खोखला करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे। वृक्षारोपण को जीवन का हिस्सा बनाएं। वायु और पर्यावरण प्रदूषण कम करने में अपना योगदान दें। अरावली हमारी जीवन रेखा है, इसका संरक्षण जरूरी है। पशु, पक्षियों की जीवन दायिनी व पारिस्थितिक तंत्र की मजबूती, भूजल का स्तर नीचे न गिरने तथा ऑक्सीजन का स्रोत अरावली ही हैं। इन्हें बचाना हम सबका ध्येय बने। - शिवजी लाल मीना, जयपुर
पर्यावरण संरक्षण की स्पष्ट नीति बनें
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा 100 मीटर से नीचे के भूभाग को पहाड़ी न मानने का पक्ष यह संकेत देता है कि भविष्य में अरावली क्षेत्र में खनन की मंशा हो सकती है। जबकि विश्व के कई देशों में पर्यावरण संरक्षण की स्पष्ट नीतियां हैं, भारत में इस विषय पर एकरूप नीति का अभाव है। अरावली के बिना राजस्थान सहित कई क्षेत्रों में गंभीर पर्यावरणीय संकट उत्पन्न होगा। हजारों वर्षों से पर्यावरण की रक्षा करने वाली इस पर्वतमाला को नष्ट करना समझ से परे है। यदि सरकार ने समय रहते निर्णय नहीं बदला, तो व्यापक आंदोलन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि प्रभावित हो सकती है। - राकेश खिलेरी, चौहटन
सरकार फैसले पर पुनर्विचार करें
अरावली पर्वत श्रृंखला पर्यावरण की दृष्टि से अति अहम है। अनेक पक्षियों के रहने का घरौंदा है ,जानवरों का बसेरा है। समस्त जीवजंतुओं की जीवन रेखा है। ऐसे में अरावली पर्वत श्रृंखला को नष्ट करना अनुचित है। सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और जनहित को ध्यान में रखते हुए अरावली पर्वत श्रृंखला का संरक्षण करना चाहिए। - आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर
शहरीकरण पर रोक लगानी जरूरी
अरावली पर्वतमाला का संरक्षण पर्यावरण संतुलन और जल सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए अवैध खनन, वनों की कटाई और अनियंत्रित शहरीकरण पर सख्त रोक लगानी चाहिए। स्थानीय प्रजातियों के वनीकरण और जैव-विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देना जरूरी है। जल, जंगल और जमीन के संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी। पर्यावरण कानूनों का कड़ाई से पालन और जन जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से ही अरावली को सुरक्षित रखा जा सकता है। - कृष्णकुमार खीचड़, राजालानाडा
सख्त निर्णय लेने होंगे
अरावली पर्वतमाला का संरक्षण देश के विकास और पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा है। सबसे पहले अवैध खनन पर पूर्ण और सख्त प्रतिबंध लागू किया जाना चाहिए। वन भूमि पर अतिक्रमण हटाकर वृक्षारोपण को प्राथमिकता, जैव विविधता को बचाने हेतु वन्यजीव गलियारों का संरक्षण आवश्यक है। भूजल पुनर्भरण के लिए पारंपरिक जलस्रोतों और पहाड़ियों को नुकसान से बचाया जाए। पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के बिना किसी भी निर्माण परियोजना को अनुमति न दी जाए। स्थानीय समुदायों को संरक्षण से जोड़कर उन्हें जागरूक किया जाए। साथ ही, न्यायालय के आदेशों का कड़ाई से पालन और नियमित निगरानी तंत्र विकसित करना भी अनिवार्य है। - अमृतलाल मारू, इंदौर
अरावली बचाओ अभियान व्यापक करना होगा
अरावली पर्वत श्रृंखला जो हमारी पारिस्थितिक विरासत है यह न केवल दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा के लिए एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, बल्कि यह पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने और मरुस्थलीकरण को रोकने में भी अहम भूमिका निभाती है। अरावली बचाओ' अभियान वर्तमान में अत्यंत महत्वपूर्ण परिदृश्य में एक सार्थक पहल है। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि अरावली के संरक्षण के लिए एक तत्काल आह्वान है। जिस गति से अवैध खनन, अतिक्रमण और अनियंत्रित विकास कार्य अरावली को क्षति पहुंचा रहे हैं, उसे तुरंत रोकना अनिवार्य है। इन प्रयासों को केवल सरकारी स्तर तक सीमित न रखते हुए, व्यापक सामुदायिक भागीदारी और कठोर कानूनी कार्रवाई के माध्यम से ही प्रभावी बनाया जा सकता है। तभी हम अरावली की जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्व को सुरक्षित रख पाएंगे। - डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
अवैध खनन पर सख्त रोक की जरूरत
अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के लिए वन रक्षा के रूप में चिपको आंदोलन चलाने की आवश्यकता है। जल, जंगल और प्राणियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर पर्यावरणविदों, बुद्धि जीवियों, पक्ष-विपक्ष और आम जनता को सक्रिय होने की आवश्यकता है।
अरावली पर्वत में अवैध खनन होना एक तरह से देश भर की पहाड़ियों को खनन और भूमाफियाओं के नियंत्रण में देना है। - हरिप्रसाद चौरसिया, देवास
अरावली संरक्षण अभियान चलाना चाहिए
अरावली पर्वतमाला भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है यह जल, पर्यावरण व जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके संरक्षण के लिए वन्यजीव गलियारों, जल स्रोतों और भूजल रिचार्ज क्षेत्र में खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए। अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत स्वदेशी प्रजातियां जैसे खेजड़ी नीम के वृक्षों को लगाना और अवैध कटाई से बचाना चाहिए। खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और पुराने अवैध खनन स्थलों पर वृक्षारोपण करना चाहिए। अनियंत्रित शहरी विस्तार पर रोक लगानी चाहिए अरावली को संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। - मोदिता सनाढ्य,उदयपुर
वन सुरक्षा के लिए एकसमान कानून हो
अरावली को वर्तमान और भविष्य के लिए सुरक्षित रखने के लिए पर्वत से लगतीं सभी सरकारों को पर्यावरण, वन विभाग, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर सुरक्षा के लिए एकसमान मानदंड लागू करने के लिए प्रयास करना चाहिए। अवैध खनन पर सख्त रोक और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के लिए सख्त नियम और क़ानून होने चाहिए। बड़े स्तर पर वृक्षारोपण हो इसके लिए अरावली के महत्त्व और प्राकृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए जागरुकता अभियान की जरूरत है। - मनवीर चन्द कटोच, जयपुर
Updated on:
24 Dec 2025 04:49 pm
Published on:
24 Dec 2025 04:45 pm
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