
छत्तीसगढ़ सहित भारत को नक्सल मुक्त करने के लिए दी गई डेडलाइन 31 मार्च 2026 के मद्देनजर पूरा दम-खम लगा दिया गया है। वर्ष 2014 से पहले देश में 125 जिलों में नक्सल आतंक-हिंसा का प्रभाव था, जोकि 11 वर्षों में सिमट कर 11 जिलों में रह गया। इन 11 जिलों को भी नक्सल हिंसा के प्रभाव से मुक्त करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के साथ मिलकर रणनीति बनाई। इस पर चौतरफा काम शुरू किया गया। नक्सलियों पर प्रहार के साथ पुनर्वास और मुख्यधारा में सम्मानित जीवन यापन के सराहनीय प्रयास किए गए। सरकार के मुताबिक 30 नवंबर 2025 तक छत्तीसगढ़ में 487 से अधिक नक्सली न्यूट्रलाइज किए जा चुके हैं। 1849 से ज्यादा गिरफ्तार किए गए हैं। वहीं, 2250 से ज्यादा ने आत्मसमर्पण किया है। बंदूक का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने वालों को सम्मानजनक जीवन देने की कोशिश की जा रही है। महात्मा गांधी ने कहा था कि अपराधियों से नहीं, अपराध से घृणा करो। इस मंत्र पर भी काम किया जा रहा है यानी कि नक्सलवाद का खात्मा करो और मुख्यधारा में लौटने वालों को समाज में सम्मान दिलाओ। राज्य सरकार ने नक्सलियों के पुनर्वास की जो नई नीति लागू की है, वो ऐसी ही है। इसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए 15 हजार प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति, 3 वर्षों तक 10 हजार रुपए मासिक वित्तीय सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और रोजगार-संबंधी कार्यक्रमों पर फोकस किया है। साथ ही जो इलाके नक्सल हिंसा के प्रभाव से मुक्त हो चुके हैं, वहां विकास के कई काम शुरू किए। स्वास्थ्य-शिक्षा के साथ ही मूलभूत सुविधाएं अंदरूनी-सुदूर वनांचलों तक उपलब्ध कराई जा रही हैं। नक्सलमुक्त इलाकों में हो रहे विकास ने लाल आतंक को त्यागने की दिशा दिखाई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 दिसंबर को भी एक बड़ा महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों के आपराधिक प्रकरणों का निराकरण और वापसी की जाएगी। सरकार का यह निर्णय भी नक्सलवाद पर करारा प्रहार और सराहनीय प्रयास है।
-अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@in.patrika.com
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Updated on:
12 Dec 2025 02:56 am
Published on:
12 Dec 2025 02:55 am
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