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Patrika Opinion: प्रदूषण कम करने की दिशा में प्रतिबद्धता जरूरी

दीपावली का त्योहार निकट है। पटाखों की दुकानें सज चुकी हैं। इस हालत में अब यह आसान नहीं लग रहा कि बेरियम युक्त पटाखे जनता तक नहीं पहुंचेंगे। ऐसे पटाखों के निर्माण को ही सख्ती से रोका जाता तो शायद ये बाजार में पहुंच ही नहीं पाते।

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Nitin Kumar

Nov 08, 2023

Patrika Opinion: प्रदूषण कम करने की दिशा में प्रतिबद्धता जरूरी

Patrika Opinion: प्रदूषण कम करने की दिशा में प्रतिबद्धता जरूरी

दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण बनी विकट स्थिति ने एक बार फिर इस समस्या की तरफ पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। दीपावली नजदीक होने के कारण आतिशबाजी की चर्चा भी होने लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि देश के हर राज्य के लिए है। साथ ही यह भी कहा है कि राज्य सरकारों को इस आदेश की पालना पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। शीर्ष अदालत की चिंता को समझने की जरूरत है क्योंकि वायु प्रदूषण की समस्या महज दिल्ली की नहीं है। देश के कई राज्यों में वायु की गुणवत्ता में गिरावट आती ही जा रही है।

सब जानते हैं कि तापमान कम होने के साथ नमी बढ़ जाती है। इसकी वजह से प्रदूषण भी बढ़ता है। दीपावली के मौके पर चलाए जाने वाले पटाखे भी प्रदूषण की समस्या को ज्यादा गंभीर बना देते हैं। हवा में विषैले पदार्थों की मौजूदगी बढ़ जाती है, जो कई बीमारियों का कारण बन जाती है। यही वजह है कि दिल्ली में तो हर तरह के पटाखों को प्रतिबंधित कर दिया गया है और दूसरे राज्यों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि बेरियम मुक्त हरित पटाखे ही चलाए जाएं। दीपावली का त्योहार निकट है। पटाखों की दुकानें सज चुकी हैं। इस हालत में अब यह आसान नहीं लग रहा कि बेरियम युक्त पटाखे जनता तक नहीं पहुंचेंगे। ऐसे पटाखों के निर्माण को ही सख्ती से रोका जाता तो शायद ये बाजार में पहुंच ही नहीं पाते। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद कानून-कायदों की अनदेखी हमारे यहां खूब होती आई है। आतिशबाजी से जुड़े दिशा-निर्देशों के मामले में भी ऐसा ही होता आया है। इसकी वजह यही है कि दिशा-निर्देश तो जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन उनकी पालना नहीं करवाई जाती। पर्यावरण प्रदूषण के दूसरे कारकों से निपटने के मामले में भी सरकारों का यही रवैया नजर आता है। दरअसल, प्रदूषण को लेकर चिंता और उसे कम करने को लेकर किए जाने के प्रयासों में प्रतिबद्धता एक जैसी नहीं होगी तब तक समस्या का समाधान संभव नहीं। यह भी सच है कि त्योहार खुशियां मनाने और बांटने के लिए ही होते हैं। लेकिन खुशियों के अतिरेक में लोगों की सेहत से खिलवाड़ की किसी को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

जहां तक दीपावली पर आतिशबाजी का सवाल है प्रतिबंध से इतर इलाकों में बेरियम मुक्त और सीमित मात्रा में पटाखे चलाने में कोई हर्ज नहीं है। चिंताजनक तथ्य यह है कि निर्धारित समय के बाद भी आतिशबाजी होती है। घर-परिवारों में जिन पर रोक-टोक का जिम्मा होता है वे खुद नियम-कायदों को लेकर बेपरवाह हो जाते हैं। यह मानसिकता खतरनाक है।