scriptकोरोना से जंग में रोज नए-नए खुलासे | Everyday new revelations in the battle with Corona | Patrika News

कोरोना से जंग में रोज नए-नए खुलासे

locationनई दिल्लीPublished: May 14, 2021 08:14:40 am

सरकार ने अपने तकनीकी पैनल की उस सिफारिश को मंजूर कर लिया है, जिसने हाल में यह सिफारिश की थी कि कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच में 12 से 16 सप्ताह का अंतर रखना बेहतर होगा।

कोरोना से जंग में रोज नए-नए खुलासे

कोरोना से जंग में रोज नए-नए खुलासे

कोरोना महामारी से जंग में रोज नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। कई बार परस्पर विरोधी तथ्यों के कारण भ्रम होता है और नई शंकाएं प्रकट हो जाती हैं। हाल में सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर भी जिस तरह से नए दावे किए गए हैं, उससे ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि हमें वैज्ञानिकों पर भरोसा रखना चाहिए कि वे जो सिफारिश कर रहे हैं, वह तथ्यों और शोध के आधार पर ही होगी। सरकार ने अपने तकनीकी पैनल की उस सिफारिश को मंजूर कर लिया है, जिसने हाल में यह सिफारिश की थी कि कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच में 12 से 16 सप्ताह का अंतर रखना बेहतर होगा।

इससे पहले कहा गया था कि दोनों खुराकों के बीच छह से आठ सप्ताह का अंतर होना चाहिए। उससे भी पहले, जब यह टीका बनाया गया था, तब दावा था कि दोनों खुराक के बीच चार सप्ताह का अंतर होना चाहिए। दूसरे टीकों से अलग कोविशील्ड को लेकर इस तरह के दावे ऐसी परिस्थितियों के बीच आ रहे हैं, जब सबसे बड़े टीका निर्माता से दुनिया को जल्द से जल्द टीका उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जा रही है। भारत में भी अब तक सीरम के टीके ही सबसे ज्यादा लगाए गए हैं और दूसरी डोज के लिए उत्पादन तेज करने का काफी दबाव है। कई राज्यों ने टीके की अनुपलब्धता के कारण 18 से 4५ आयुवर्ग के टीकाकरण को या तो रोक दिया है या धीमा कर दिया है, जबकि संक्रमण की दूसरी लहर में इसे तेज करने की जरूरत थी। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या बाजार में टीके की अनुपलब्धता को देखते हुए सरकार ने दो डोज के बीच के अंतर को बढ़ाने का निर्णय किया है? हालांकि इस सवाल का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। तकनीकी समिति की सिफारिश पर शक करना, हमारे वैज्ञानिकों पर संदेह करना है, जो तब तक उचित नहीं है जब तक कोई तथ्यात्मक आधार सामने न आए।

इस पूरे मामले पर विचार करते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ ने एक शोध में दावा किया था कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच ३ माह का अंतर होने पर बेहतर प्रभाव देखा गया है। तीसरे चरण के रैंडम ट्रायल के बाद ‘द लैंसेट’ ने कहा था कि पहली खुराक के बाद टीका लगवाने वाले को 76 फीसदी सुरक्षा मिलती है। इसलिए दो खुराक के बीच आसानी से ३ माह का अंतर रखा जा सकता है। दरअसल, टीके के प्रभावों का सटीक आकलन कई सालों की गणना के बाद ही पुख्ता हो पाता है। अभी ट्रायल पूरा हुए बगैर ही आपात स्थिति में टीके को अनुमति मिली है। हमें यह मान लेना चाहिए कि इस महामारी और टीके को लेकर अभी और भी नई-नई बातें सामने आती रहेंगी।

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