नई दिल्लीPublished: Jul 29, 2021 09:13:44 am
Patrika Desk
चीफ इकोनॉमिस्ट (क्रिसिल), डी के जोशी ने राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में साफ तौर पर कहा है कि उदारीकरण से नहीं मिटा भ्रष्टाचार, जरूरी है पारदर्शिता और व्यवस्थागत बदलाव। इसके लिए ढांचागत सुविधाएं सुधारना और नौकरशाही का दखल घटना जरूरी है।
अर्थव्यवस्था के दरवाजे खुले तीन दशक बीत चुके हैं। इस दौरान कैसी चली उदारीकरण की प्रक्रिया, कितना बदला इसने देश के आर्थिक हालात और कारोबार के तौर-तरीकों को? आम हिंदुस्तानी के जीवन में उदारीकरण के चलते क्या बदलाव आए? भ्रष्टाचार और इंस्पेक्टर राज कितना दूर हुआ? मुकेश केजरीवाल के इन सवालों पर देश के जाने-माने अर्थशास्त्री डीके जोशी के बेहद सरल और सुलझे जवाब...