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चन्द्रमा: एक वैदिक परिप्रेक्ष्य

Gulab Kothari Article: एक रहस्यमय तथ्य यह देखा कि चन्द्रमा ही उत्पत्ति (सम्भूति) और विनाश का कारण है। पहले परमेष्ठी की उत्पत्ति (भृगु-अंगिरा-अत्रि) हो जाती है, सूर्य की उत्पत्ति हो जाती है (ज्योति-तम), सूर्य के उपग्रह पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद चन्द्रमा की उत्पत्ति होती है।... सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के विशेष आलेख- चन्द्रमा: एक वैदिक परिप्रेक्ष्य - का पहला भाग।

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जयपुर

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Nitin Kumar

Sep 19, 2023

Gulab Kothari Article Podcast Part One

Gulab Kothari Article Podcast Part One

Gulab Kothari Article On Chandrama Part One: ...एक रहस्यमय तथ्य यह देखा कि चन्द्रमा ही उत्पत्ति (सम्भूति) और विनाश का कारण है। पहले परमेष्ठी की उत्पत्ति (भृगु-अंगिरा-अत्रि) हो जाती है, सूर्य की उत्पत्ति हो जाती है (ज्योति-तम), सूर्य के उपग्रह पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद चन्द्रमा की उत्पत्ति होती है। उत्पत्ति क्रम अग्नि-सोमात्मक तो है, किन्तु बिना अत्रि (पारदर्शिता का प्रतिबन्धक) प्राण के आगे नहीं बढ़ सकता। यही पृथ्वी में रहने वाला- वाक् प्रधान-आवरक प्राण है। भूपिण्ड दिन-रात का एवं वार्षिक संवत्सर का अधिष्ठाता है। सूर्य के ताप एवं पृथ्वी की गति से उत्पन्न ताप के कारण अत्रि प्राण भी द्रवित होता हुआ पृथ्वी के साथ घूमता जाता है। तीन परिक्रमाओं पर यह शीतल होकर सोम रूप में बदल जाता है। यही सोम घनीभूत होकर चन्द्रमा (पिण्ड) रूप ले लेता है।
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गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था।