6 December 2025,

Saturday

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रसंगवश: सरकारी फाइलों में ही क्यों दबा है शोर नियंत्रण का फरमान

अस्पताल एवं स्कूल जैसे स्थानों को ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। इसलिए इनके आसपास किसी भी तरह के शोर को प्रतिबंधित किया जाता है।

2 min read
Google source verification

अस्पताल एवं स्कूल जैसे स्थानों को ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। इसलिए इनके आसपास किसी भी तरह के शोर को प्रतिबंधित किया जाता है। चिंताजनक तस्वीर यह है कि राजस्थान के 95 फीसदी साइलेंस जोन में ध्वनि प्रदूषण को रोकना संभव नहीं हो पा रहा। विचारणीय तथ्य यह है कि राजस्थान के 36 शहरों में अस्पताल जैसे इलाकों में भी ध्वनि प्रदूषण गर्भस्थ और नवजात शिशुओं की दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है। इनमें वाहनों के साथ-साथ डीजे केे कानफोड़ू शोर को बड़ी वजह माना जा रहा है।

कुछ समय पहले राज्य सरकार ने वाहनों पर लगे डीजे पर सख्ती से रोक लगा दी थी। कहने को तो रात दस बजे बाद डीजे के इस्तेमाल या तेज गाना बजाने पर रस्मी रोक पहले से ही जारी है। कागजी चेतावनी तो यह भी है कि आदेश का उल्लंघन करने पर डीजे लगे वाहन व म्यूजिक सिस्टम तक जब्त कर लिए जाएंगे, लेकिन इनका कानफोड़ू शोर समस्या बना हुआ है।

धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर कोई मांगलिक मौका, ऐसा लगता है कि आयोजकों ने देर रात तक लोगों का सुख-चैन छीनने की कसम ले रखी है। उससे भी ज्यादा उन जिम्मेदारों ने जिनको सरकार के इस आदेश की पालना करानी है। विवाह समारोहों के दौर में सड़कों पर बड़ी संख्या में वाहनों पर लगे डीजे शहरों और गांवों में नजर आ रहे हैं।

ज्यादा वक्त नहीं हुआ। करौली में हुए साम्प्रदायिक दंगों का घटनाक्रम लोग भूले नहीं होंगे। यहां भी साम्प्रदायिक दंगे की घटना के बाद सरकार ने डीजे पर रोक को लेकर सख्ती की थी। प्रशासन ने करौली में धार्मिक जुलूस पर पथराव की घटना में भी उन्माद की बड़ी वजह डीजे को ही माना था। प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम अहम मसला है जिस तरफ भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

रात दस बजे बाद तेज आवाज में म्यूजिक बजने पर कार्रवाई का फरमान भला कागजों में ही कैद होकर क्यों रह जाता है? सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में सख्त गाइड लाइन जारी कर रखी है, लेकिन नियमों के उल्लंघन पर शायद ही किसी के खिलाफ कार्रवाई होती है। हैरत की बात है कि डीजे के लिए वाहनों में मनमाना बदलाव तक कर लिया जाता है जबकि यातायात नियम इसकी अनुमति नहीं देते।

बच्चों, बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती दूसरे मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर ध्वनि प्रदूषण बड़े खतरे के रूप में सामने आया है। विद्यार्थियों को पढ़ाई में असुविधा कम नहीं होती है। ऐसे सभी मामलों को एक ही तराजू से तोला जाना चाहिए। 

  • जयप्रकाश सिंहjaiprakash.singh@epatrika.com