
Patrika Opinion: लंबित मुद्दे भी सुलझाएं भारत और बांग्लादेश
भारत और बांग्लादेश के बीच पहली क्रॉस-बॉर्डर ऊर्जा पाइपलाइन के उद्घाटन से दोनों पड़ोसी देशों के मजबूत होते रिश्तों में नया अध्याय जुड़ गया है। इसे मैत्री पाइपलाइन भी कहा जा रहा है। यह बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जयंती के एक दिन बाद शुरू हुई है, जिनके ‘अमार शोनार बांग्ला’ (हमारा सोने का बंगाल) विजन में बांग्लादेश और भारत के पूरे बांग्ला क्षेत्र के मैत्रीपूर्ण विकास तथा समृद्धि का समावेश था। पाइपलाइन के जरिए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से उत्तरी बांग्लादेश के सात जिलों में हाई स्पीड डीजल की सप्लाई की जाएगी। इससे बांग्लादेश के विकास को रफ्तार मिलेगी, तो भारत के साथ उसकी कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।
इस कनेक्टिविटी की दिशा में अहम शुरुआत 2020 में हुई थी, जब 56 साल बाद हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग पर मालगाडिय़ों का संचालन बहाल किया गया था। विभाजन के बाद भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (जो 1971 में बांग्लादेश बना) के बीच सात रेल लिंक थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1965 में ये लिंक बंद कर दिए गए थे। भारत-बांग्लादेश रेल कनेक्टिविटी से द्विपक्षीय व्यापार के साथ आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिला है। दोनों देश किसी दूसरे पड़ोसी देश के मुकाबले सबसे लंबी (4096.7 किलोमीटर) सीमा रेखा साझा करते हैं। बांग्लादेश के विकास में दूसरे पड़ोसी देशों के मुकाबले भारत का योगदान ज्यादा है। भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति में बांग्लादेश को शुरू से प्राथमिकता मिलती रही है।
भारत की तरह बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने रचा था। दोस्ताना रिश्तों के बावजूद कुछ मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विवाद काफी समय से लंबित हैं। इनमें तीस्ता नदी जल विवाद शामिल है। यह नदी भारत से बांग्लादेश में प्रवेश कर बंगाल की खाड़ी में मिलती है। प. बंगाल के आधा दर्जन जिले इस नदी पर निर्भर हैं। बांग्लादेश शिकायत करता रहा है कि उसे तीस्ता के पानी का वाजिब हिस्सा नहीं मिलता। भारत और बांग्लादेश 54 नदियां साझा करते हैं। गंगा के पानी पर दोनों में 1996 में संधि हुई थी, पर तीस्ता के पानी पर संधि की भूमिका नहीं बन पा रही है। इसी तरह भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की समस्या का हल भी नहीं निकल पाया है। बांग्लादेश से होकर म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों की घुसपैठ भारत के लिए सिरदर्द बन गई है तो बांग्लादेश के जमात-उल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। दक्षिण एशिया में शांति के लिए दोनों देशों को इन मुद्दों के हल की दिशा में सक्रिय पहल करनी चाहिए।
Published on:
19 Mar 2023 10:59 pm
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