6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नानी जिन्दाबाद

नानी को अपने पोते-पोतियों से अधिक नाती-नातिन अधिक प्यारे लगते हैं क्योंकि उनसे उसका नाल का सम्बंध होता है। हम तो एक सौ एक बरस की नानी के गोल्ड मेडल जीतने का जश्न मनाएंगे।

2 min read
Google source verification

image

Rajeev sharma

Apr 26, 2017

नानी ने कमाल कर दिया। एक सौ एक साल की उम्र में सौ मीटर का फर्राटा लगा के सोना जीत लिया। खबर सुनते ही हमने नानी को सौ-सौ फर्शी सलाम करने की सोची लेकिन हाय! पांच बार झुकने-खड़े होने में ही कमर चबकने लगी और सौ की तो छोड़ो ग्यारह का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर सके जबकि नानी और हमारी उम्र में पूरे चालीस बरस का फर्क है।

सही समझे! हम एक सौ एक बरस की नानी मनकौर की बातें कर रहे हैं। नानी होती ही दमदार है। हमारी नानी, अल्लाह उन्हें जन्नत बक्शे, कमाल की महिला थी। अचार, पापड़, मुरब्बा, मसाले, दाल, चटनी, मिठाई, खटाई सब घर में ही तैयार करती।

जब तक जीवित रही तब तक मोहल्ले का तो क्या पूरी बस्ती का एक भी शिशु ऐसा नहीं था जिसे उसने न छुआ हो। बस्ती की जच्चाएं मां बनने से पहले और मां बनने के बाद अपने बच्चों की स्वास्थ्य समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाने से पहले नानी के पास आती थीं।

तपते बुखार में आधी रात को पुकार सुनते ही वो जच्चा की जचगी कराने चली जातीं। मजे की बात इन कामों के लिए उसने किसी से धेला नहीं लिया। नानी और दादियों की वह नस्ल अपने समाज से कभी की खत्म हो गई।

हां, ढाणी-गांवों में उस नस्ल की एकाध नानी बची हो तो हम कह नहीं सकते। शहरों में भी ढूंढऩे पर एक-दो मिल सकती है परन्तु वे बूढ़ी औरतें ऐसे ही समाप्त हो चुकी हैं जैसे समाज से समरसता और सहिष्णुता।

नीति-निर्माता अपने लैपटॉप से आने वाले पन्द्रह बरस बाद एसी, कार दिलाने के हवाई सपने दिखा रहे हैं, हम उनसे गुजारिश करते हैं कि भाई पनगडिय़ा जी अगर आप प्रेममयी नानी की नस्ल को ही बचा सको तो आपकी मेहरबानी।

नानी को अपने पोते-पोतियों से अधिक नाती-नातिन अधिक प्यारे लगते हैं क्योंकि उनसे उसका नाल का सम्बंध होता है। हम तो एक सौ एक बरस की नानी के गोल्ड मेडल जीतने का जश्न मनाएंगे। और नानी के गुण गाएंगे। नानी जिन्दाबाद।

व्यंग्य राही की कलम से

ये भी पढ़ें

image