
Patrika Opinion: डीपफेक के खिलाफ सतत निगरानी तंत्र की दरकार
बिजली के बल्ब और मूवी कैमरे के आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन ने कहा था कि हर नई तकनीक सुविधाओं के साथ कुछ नकारात्मक पहलू भी लाती है। नित नई तकनीक के दौर से गुजर रही दुनिया में उनका कथन प्रासंगिक बना हुआ है। कृत्रिम बौद्धिकता (एआइ) तकनीक के आगमन ने अगर सुविधाओं के नए रास्ते खोले हैं तो दुनियाभर में चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। इस तकनीक का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर शुरू हो चुका है। एआइ के जरिए डीपफेक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं। गलत सूचनाएं, ऑडियो-वीडियो और तस्वीरें फैलाने वालों के हाथों में एआइ ने खतरनाक उस्तरा थमा दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डीपफेक को देश के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बता इसके खिलाफ जनता को शिक्षित करने पर जोर दिया है। यह तकनीक व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और स्वायत्तता को चुनौती ही नहीं है, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरे खड़े कर सकती है। देश में कई प्रतिष्ठित हस्तियां डीपफेक वीडियो का शिकार हो चुकी हैं। कई विदेशी हस्तियों के भी डीपफेक वीडियो सामने आ चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के डीपफेक वीडियो में तो वे रूस से लड़ रही अपनी सेना को सरेंडर करने के लिए कह रहे हैं। इजरायल-हमास युद्ध के भी कई डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। पहले डीपफेक का ज्यादातर इस्तेमाल पोर्नोग्राफी वीडियो और तस्वीरें बनाने में होता था। एआइ फर्म डीपट्रेस ने 2019 में इंटरनेट पर 15 हजार डीपफेक वीडियो का पता लगाया था। इनमें से 96 फीसदी पोर्नोग्राफी से जुड़े थे। डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग रोकने और फर्जी वीडियो की पहचान के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी विकसित करने की जरूरत है। चिंता की बात है कि सोशल मीडिया मंचों और टेक कंपनियों ने डीपफेक वीडियो पर अंकुश के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की है। भारत सरकार इस मुद्दे पर सोशल मीडिया मंचों से चर्चा की तैयारी कर रही है। इससे पहले सोशल मीडिया कंपनियों को गलत सूचनाओं, डीपफेक, अन्य अवांछित सामग्री की पहचान कर 36 घंटे के अंदर उन्हें हटाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
कई देशों की सरकारें डीपफेक के नियमन की तैयारी में हैं। कुछ अमरीकी राज्यों में बगैर सहमति डीपफेक बनाने को अपराध घोषित किया जा चुका है। यूरोपीय देशों में भी कानून बनाने की तैयारी चल रही है। सिर्फ कानून बनाने से समस्या से पार पाना संदिग्ध है। जरूरत ऐसे तंत्र की है, जो डीपफेक की सतत निगरानी रख अवांछित सामग्री फैलाने के सभी रास्ते बंद रखे।
Published on:
19 Nov 2023 10:37 pm
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