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भाषा को लेकर सोच बदलने की जरूरत

हिंदी दिवस (14 सितंबर) विशेष आशा है कि आने वाले समय में अंग्रेजी भाषा को न जानने-समझने वाले इंसान को भी उतनी ही सम्मान-भरी नजरों से देखा जाएगा, उसको भी वे सभी अवसर मिलेंगे, जो अंग्रेजी भाषा जानने वालों को मिलते हैं।

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Nitin Kumar

Sep 15, 2023

भाषा को लेकर सोच बदलने की जरूरत

भाषा को लेकर सोच बदलने की जरूरत

अजय डाटा
संसार की पहली भाषाई ईमेल सेवा के जनक
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आज एक आम आदमी अपनी पूरी जिंदगी अगर हिंदी में जीना चाहे तो उसके लिए यह काफी मुश्किल होगा। कारण, सरकारी ऑर्डर, कोर्ट ऑर्डर, दवाइयां, स्कूल एजुकेशन और ऐसा बहुत कुछ जो आम जीवन में महत्त्वपूर्ण है अंग्रेजी में है। हिंदी भाषा की आज स्थिति देखें तो बहुत अच्छी नहीं है। व्यावहारिक रूप में बच्चे अगर हिंदी नहीं भी जानें तो कोई इसे बुरा नहीं मानता है, लेकिन अंग्रेजी नहीं जानें तो परिवार दुखी होता है। संभवत: ये ही कारण हैं कि हिंदी के बारे में सोच को बदलने के लिए हमें हिंदी दिवस दिया गया ताकि हम हिंदी को न छोड़ें और साल में कम से कम एक बार जरूर इसके बारे में विचार करें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद मुझे आशा है कि हमारी भाषाओं का कुछ बेहतर विकास
हो सकेगा।

हिंदी संसार की एक महत्त्वपूर्ण और आज भी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय समाचार-पत्रों के पंजीयक की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में भारत में हिंदी समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या करीब 19.1 करोड़ जबकि अंग्रेजी समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या करीब 3.64 करोड़ थी। भारतीय पाठक सर्वेक्षण के अनुसार इंटरनेट पर हिंदी पढऩे वालों की संख्या प्रतिवर्ष 96% बढ़ रही है जबकि अंग्रेजी में यह बढ़त 18% ही है। अनुमान है कि 2025 तक करीब 10 करोड़ लोग हिंदी भाषा में पेमेंट इंटरफेस यूज करेंगे। कहने का अर्थ यह कि हिंदी का महत्त्व कमतर आंकने की नहीं, बल्कि सोच बदलने की जरूरत है ताकि हिंदी के साथ हिंदीभाषियों का भला हो सके।

आज हमारी बोलियों ने एक-एक करके दम तोडऩा शुरू कर दिया है। हजारों शब्द एवं अभिव्यक्तियां समाप्त हो रही हैं। कितने ही लोकगीत, लोकाचार, लोक कथाएं आकाश में विलीन हो रही हैं। बोलियों के बाद क्या भाषाओं का नंबर नहीं आएगा, इस पर भी विचार की दरकार है। महानगरीय जीवन में आज जब-तब ऐसे अवसर सामने आ जाते हैं जब लोग अच्छी हिंदी बोलने वाले को आश्चर्य भरी निगाहों से देखते हैं। आज के बच्चों से अगर उन्नीस, उनहत्तर या इक्यासी पूछ लो तो वे एक-दूसरे की तरफ देखने लगते हैं। यह हमारे लिए नींद से जागने का समय है लेकिन शायद लोग अंग्रेजी को अपनी शान मानकर हिंदी भाषा से जुड़ी अपनी कमजोरियों को छुपाना पसंद करते हैं। हिंदी की स्थिति को मजबूत करने के लिए आज विचार नहीं किया, ठोस कदम नहीं उठाए तो कल बहुत देर हो जाएगी।

भारत सरकार ने सभी भारतीय नागरिकों को अपनी भाषा में डोमेन नाम चुनने की सुविधा दी है। आज कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा में अपने लिए अपनी पसंद का डोमेन नाम ले सकता है। मेरा ऐसा मानना है यह बहुत ही आगे की सोच है और जो नया इंटरनेट आकार ले रहा है वह एक भाषायी इंटरनेट होगा। इसलिए जिसे भी अपनी कंपनी, फर्म, या अपनी निजी वेबसाइट बनानी हो वह अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी डोमेन नाम पर भी इसे बना सकता है और अंग्रेजी न जानने वाले लोगों तक पहुंच सकता है। इस तरह हिंदी भाषा में हिंदी डोमेन के माध्यम से सेवाएं और उत्पाद उपलब्ध कराए जा सकते हैं। यह एक बहुत बड़ी जीत होगी। इस तरह उन उपभोक्ताओं तक पहुंचना संभव होगा जो अंग्रेजी की वेबसाइट तक संभवत: कभी पहुंच नहीं पाएंगे।

अब तो देश के उच्चतम न्यायालय ने भी अपने आदेशों का हिंदी भाषा में अनुवाद करवाने की पहल कर दी है। निश्चित रूप से यह एक स्वागत योग्य कदम है। हिंदी भाषा की स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत सरकार का योगदान कम नहीं है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी हमने प्रधानमंत्री के नाम के साथ भारत लिखा हुआ देखा, न कि इंडिया। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि हम सचमुच अपनी संस्कृति, अपने इतिहास को साथ में लेकर चलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत’ शब्द के साथ हिंदी भाषा को भी नई प्राणवायु दी है। जब भी भारत शब्द किसी के कानों में पड़ता है तो हमारे चार-पांच हजार वर्षों का इतिहास मानो एक क्षण में उसकी आंखों के सामने आ जाता है। ऋग्वेद में सबसे पहले ‘भारत’ शब्द का उल्लेख हुआ था। जब हम भारत की बात करते हैं तो स्वत: ही हिंदी की बात करते हैं।
मैं बहुत आशान्वित हूं कि आने वाले समय में अंग्रेजी भाषा को न जानने-समझने वाले इंसान को भी उतनी ही सम्मान-भरी नजरों से देखा जाएगा, उसको भी वे सभी अवसर मिलेंगे, जो अंग्रेजी भाषा जानने वालों को मिलते हैं। हिंदी भाषा जानने-समझने वाले सॉफ्टवेयर बना पाएंगे, डॉक्टर-इंजीनियर और वकील बन पाएंगे। जब सहज हिंदी शिक्षा एवं व्यापार की भाषा हो जाएगी तो एक आम आदमी वे सभी काम कर पाएगा जिन्हें पूरा करने के लिए अंग्रेजी जानना आज बाध्यता है। आने वाले समय में हिंदी भाषा को उसका उचित स्थान मिले, हमें इस दिशा में आगे बढऩा है। जब आने वाले समय में हिंदी सभी की मुख्य भाषा हो जाएगी, हिंदी को अपने व्यवहार में लाकर हम हर दिन हिंदी का उत्सव मनाएंगे।