ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन एवं तेज रफ्तार से सड़क हादसों में निरंतर मौतें हो रही हंै। यातायात नियमों की पालना के लिए सख्ती जरूरी है। प्राय: जुर्माने के साथ लोगों को छोड़ दिया जाता है। वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण यातायात विभाग भी वाहनों के नियंत्रण एवं अपने दायित्व के प्रति बेपरवाह होता जा रहा है ।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़
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जुर्माना बढ़ाने के बाद भी सड़क हादसों में कमी नहीं होने का मुख्य कारण सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी और लापरवाही है। बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना, सीट बेल्ट न लगाना , वाहन चलाते समय मोबाइल सुनना और वाहन क्षमता से ज्यादा माल भरने पर अचानक टायर फट जाना हादसों के मुख्य कारण हैं। वाहनों पर कड़ी नजर रखकर हादसे कम किए जा सकते हैं।
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर
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सड़क हादसे आजकल आम बात हो गई है, परंतु यह गंभीर विषय है। इसको लेकर स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है। इसमें एनजीओ की मदद ली जा सकती है जो रोचक और अनूठे ढंग से जागरूकता कार्यक्रम चलाएं।।
-तरुण कर्मा, बड़वाह
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जुर्माना बढ़ा देने या कठोर कानून बनाने से सड़क हादसों में कमी नहीं आती। समाज में जागरूकता आने से ही सड़क हादसों में कमी आएगी। इसकी शुरुआत घर से ही होती है। घर वाले परिवार के सदस्यों को वाहन सही तरीके से चलाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
-शुभम वैष्णव ,सवाई माधोपुर
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कई चालक वाहनों को अत्यधिक तीव्र गति से चलातेे हैं, जिस कारण आपातकाल होने पर संतुलन बनना लगभग असम्भव हो जाता हैं। ऐसे लापरवाह चालकों के कारण नियमों से चलने वाले लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ता है।
-प्रिंस कुमार शर्मा, सिंघाना, झुंझुनूं
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लोगों में यातायात नियमों के प्रति गंभीरता व जागरूकता का अभाव नजर आता है। इसके लिए सरकार को जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
-पी. के. डाबला, श्रीगंगानगर
……….. जान है तो जहान है
सड़क हादसों में कमी करने के लिए जुर्माना बढ़ाना एकमात्र उपाय नहीं है। इनमें कमी तभी संभव है, जब सड़कों का रखरखाव सही तरीके से हो। हर वाहन चालक यातायात नियमों की अनुपालना करे। सभी को यह बात समझनी होगी कि जान है तो जहान है।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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अधिकतर सड़क हादसे नींद की झपकी आने और नशे के कारण होते हैं। बिना हेलमेट वाले दुपहिया वाहन चालकों का चालान बनाकर खानापूर्ति कर ली जाती है। ऐसे दुपहिया चालकों का चालान काटने के साथ हेलमेट दिया जाना चाहिए।
दिनेश नायक, अजमेर
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वाहन चालकों की लापरवाही, अभिभावकों की गैर जिम्मेदारी, उद्दंड लोगों की दादागिरी, पुलिस की अनदेखी जैसी बातें हादसों में कमी नहीं आने दे रही हैं। इसलिए हर वर्ग को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
-सरोज जैन, खंडवा, मप्र