30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सिर्फ वाहन चलाना नहीं, समुचित चालक प्रशिक्षण भी है जरूरी

बहुत से मोटर ड्राइविंग स्कूलों के फर्जी होने तथा बिना प्रशिक्षण के फर्जी प्रमाण-पत्र दिए जाने के समाचारों के चलते इनके द्वारा प्रमाणित चालकों का भी वास्तव में प्रशिक्षित होने की गारंटी नहीं है।

3 min read
Google source verification

जयपुर

image

Opinion Desk

Dec 30, 2025

-आर.के. विजय, स्वतंत्र लेखक एवं स्तंभकार

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा के संदर्भ में एक संदेश में कहा है कि हमें नागरिकों को यातायात नियमों का पालन करते हुए सही ड्राइविंग व्यवहार (प्रेक्टिसेज) अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन सवाल यह है कि ऐसा होगा कैसे? यह वाहन चालकों को समुचित प्रशिक्षण से ही संभव हो सकता है, लेकिन अधिकतर श्रेणियों के वाहन-चालकों के लिए प्रशिक्षण का नितांत अभाव है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने तथा ड्राइविंग स्कूलों के लाइसेंसिंग के प्रावधान हैं। केवल व्यावसायिक श्रेणी के वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस लेने के लिए इन स्कूलों से प्रशिक्षण अनिवार्य है, अन्य किसी भी श्रेणी के लिए नहीं। यानी दोपहिया एवं कार जैसे निजी वाहनों को चलाने का लाइसेंस एक अप्रशिक्षित व्यक्ति भी साधारण ड्राइविंग टेस्ट देकर प्राप्त कर सकता है।

नतीजतन करोड़ों अपूर्ण प्रशिक्षित चालक वाहन चलाने को अधिकृत हैं! बहुत से मोटर ड्राइविंग स्कूलों के फर्जी होने तथा बिना प्रशिक्षण के फर्जी प्रमाण-पत्र दिए जाने के समाचारों के चलते इनके द्वारा प्रमाणित चालकों का भी वास्तव में प्रशिक्षित होने की गारंटी नहीं है। दूसरी तरफ जनसाधारण की लापरवाही केवल इस तथ्य से ही झलकती है कि एक बहुत बड़ा वर्ग अपने बच्चों को लाइसेंस प्राप्त करने की आयु से पहले ही बिना इसके खतरों को समझे महंगी बाइक्स दिलाने में संकोच नहीं करता है। इन किशोरों को कौन और कैसा प्रशिक्षण देता है? इन किशोरों के साथ होने वाले सड़क हादसे भी ऐसे वर्ग को शायद सीख नहीं दे पाते।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल 1,72,890 मौतों में 45% (78,810) वाहन चालक थे। ऐसे 2,537 लोगों की आयु तो 18 वर्ष से कम थी। एक और बानगी देखिए, 74,897 दोपहिया तथा 21,040 कार/टैक्सी सवारों की दुर्घटनाओं में मौत हुई थी, जो कुल मौतों का 55% है। 48,818 मौतों के लिए दोपहिया तथा 42,067 के लिए कार/टैक्सी चालक अपराधी पाए गए। दोनों को मिलाकर यह 53% (90,885) है। इन दोनों ही श्रेणियों (व्यावसायिक के अलावा) के चालकों के लिए चालन-प्रशिक्षण कानूनन अनिवार्य नहीं है। प्रशिक्षण के अभाव का खामियाजा टाली जा सकने वाली सड़क दुर्घटनाओं तथा इनमें हो रही मौतों के रूप में समाज भुगत रहा है। सड़क सुरक्षा की दृष्टि से किसी वाहन को चलाना मात्र सीख लेना वाहन चलाने का समुचित प्रशिक्षण नहीं कहा जा सकता है। यातायात नियमों का ज्ञान तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण भी इसका एक अहम हिस्सा है।

चालीस वर्ष पूर्व मेरे ड्राइविंग गुरु ने मुझे सिखाया था कि आदर्श ड्राइविंग केवल चालन में दक्षता मात्र नहीं है, बल्कि सड़क के अन्य उपयोगकर्ताओं, यथा दूसरे चालक, पैदल यात्री, लावारिस पशु आदि के व्यवहार तथा संभावित गलती का सटीक पूर्वानुमान लगाना तथा तदनुसार समय रहते ड्राइविंग में तब्दीली करना भी है। सामने से आने वाले वाहनों की लाइटों की चकाचौंध से बचने के लिए रात में सड़क के बाएं छोर पर नजर रखते हुए ड्राइविंग अत्यंत सुरक्षित है। ऐसा करने से आमने-सामने की भिड़ंत से होने वाली बहुत-सी दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं। जब तक सड़क पर पर्याप्त दूरी तक बाधा रहित व्यू न मिले, तब तक ओवर-टेकिंग का प्रयास ही नहीं करना चाहिए। इससे ओवर-टेकिंग करते समय हड़बड़ाहट में होने वाली कई दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं। ओवर-टेकिंग से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर लोगों को जागरूक करना भी बेहद आवश्यक है। यातायात नियमों के साथ इस प्रकार के अनुभव आधारित व्यावहारिक ज्ञान के समावेश से ही वाहन-चालन का समुचित प्रशिक्षण दिया जा सकता है।

यातायात प्रशासन सहित सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में कार्यरत समस्त संगठनों द्वारा वाहन चालन प्रशिक्षण को उच्च प्राथमिकता देने की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए जनजागरण के साथ कानून में भी आवश्यक बदलाव की जरूरत है, जिससे सभी श्रेणियों के वाहन चालन तथा सड़क सुरक्षा के उपायों का व्यावहारिक प्रशिक्षण, चाहे अल्पावधि का ही हो, अनिवार्य बनाया जा सके। इस प्रकार से प्रशिक्षित चालक निश्चित तौर पर सड़क पर अधिक जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार करेंगे तथा सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम में मददगार साबित होंगे।