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आत्म-दर्शन: क्यों रखें रीढ़ सीधी

locationनई दिल्लीPublished: Mar 31, 2021 07:31:24 am

– आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता। इस स्थिति में शारीरिक अंग उतने ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते, जितना उनको करना चाहिए

Sadhguru Jaggi Vasudev

Sadhguru Jaggi Vasudev

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

शरीर के अंगों के आराम में होने का खास महत्त्व है। इसके कई पहलू हैं। फिलहाल हम इसके सिर्फ एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। शरीर के ज्यादातर महत्त्वपूर्ण अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये सारे अंग न तो सख्त या कड़े हैं और न ही ये नट या बोल्ट से किसी एक जगह पर स्थिर किए गए हैं। ये सारे अंग ढीले-ढाले और एक जाली के अंदर झूल रहे से होते हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें। आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता। इस स्थिति में शारीरिक अंग उतने ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते, जितना उनको करना चाहिए – खासकर जब आप भरपेट खाना खाने के बाद आरामकुर्सी पर बैठ जाएं।

शरीर को सीधा रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि हमें आराम पसंद नहीं है, बल्कि इसकी सीधी सी वजह यह है कि हम आराम को अलग ढंग से समझते और महसूस करते हैं। आप अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए भी अपनी मांसपेशियों को आराम में रहने की आदत डाल सकते हैं। इसके विपरीत, जब आपकी मांसपेशियां झुकीं हों, तो आप अपने अंगों को आराम में नहीं रख सकते। आराम देने का कोई और तरीका नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने शरीर को इस तरह तैयार करें कि रीढ़ को सीधा रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहे।

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