
कोरोना महामारी से पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देने वाला एक और वर्ष विदा हो रहा है। कोविड-19 संक्रमण के लंबे दौर के बाद हम फिर यह कहने की स्थिति में हैं कि हर रात की एक सुबह होती है। नए साल के रूप में हम एक नई सुबह का इंतजार कर रहे हैं। स्थितियां पौं फटने का संदेश दे रही हैं। कोरोना के पस्त होते हालात हमारे फौलादी इरादों की झलक दे रहे हैं। भले ही दुनिया में कोरोना का खतरा अभी बरकरार है और नए-नए वैरिएंट के रूप में यह हमें डराने के लिए फिर आ धमका है, पर इस बार हम डर से आगे निकल चुके हैं। इसीलिए डेल्मीक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के बावजूद कहीं से लॉकडाउन की मांग नहीं आ रही है।
दैनिक कार्यकलापों पर रोक लगाने के लिए अब कोई तैयार नहीं है। यहां तक कि पांच राज्यों में चुनावी गतिविधियां भी हमेशा की तरह सामान्य गति से चल रही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ कर दिया है कि चुनाव में कोई देरी नहीं होगी। केंद्र और राज्य सरकारें भी अब घबराई हुई नहीं हैं। जैसे सब के सब यही कर रहे हों - आने दो कोरोना को, हम तैयार हैं। दुनिया के जाने-माने विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से फैलकर अब इसकी मारक क्षमता को कम कर रहा है। जल्दी ही इसकी स्थिति सर्दी-जुकाम वाली हो जाएगी। नए साल के लिए इस उम्मीद से बेहतर क्या हो सकता है।
पहले देशव्यापी लॉकडाउन, फिर स्थानीय स्तर की पाबंदियों ने कारोबारी जगत को बुरी तरह प्रभावित किया। इनकी वजह से 2020-21 में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में 7.1 फीसदी की कमी आई थी। चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में कोरोना की दूसरी लहर आई। इसके बावजूद बैंकिंग क्षेत्र की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, समस्त गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में जो सुधार 2019-20 में हुआ था वह 2020-21 में भी जारी रहा। बैंकों की कुल डूबत रकम (जीएनपीए) भी 8.2 फीसदी से घटकर 7.3 फीसदी रह गई है।
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इन आंकड़ों का इसलिए खास मतलब है कि आर्थिक हालात को देखते हुए माना जा रहा था कि बैंकिंग क्षेत्र को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसा नहीं होना सरकार के प्रबंधन की कुशलता को तो दर्शाता ही है, यह भी बताता है कि भारत में मुश्किल हालात से निपटने की अटूट क्षमता है। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना से जंग में देशवासियों ने बड़ी संख्या में अपने प्रियजनों को खोया है। उनकी कमी पूरी नहीं हो सकती। बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो अपनी नौकरी खोने या कारोबार में संकट के कारण आर्थिक संकट से घिर गए हैं। उम्मीद की जा सकती है कि उनके लिए वास्तव में नया सवेरा आएगा।
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