
- डॉ. प्रभात ओझा, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार
अमरीका और वेनेजुएला के बीच कई महीनों से चल रही तनातनी काफी बढ़ गई है। ताजा स्थिति यह है कि अमरीकी सेना के युद्धपोतों का एक बड़ा बेड़ा वेनेजुएला के आसपास आ पहुंचा है। गंभीर बात यह भी जुड़ गई है कि रूस और चीन ने इस तनाव में वेनेजुएला के साथ होने की घोषणा की है। दोनों ने अमरीकी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। अमरीकी गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने साफ कहा है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को अपने पद से हटना ही होगा।
एक दिन पहले ही फ्लोरिडा में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी परोक्ष रूप से यही चेतावनी दी है। कैरेबियन तटों पर मौजूद अमरीकी नौसेना ने वेनेजुएला के अब तक दो तेल टैंकरों को जब्त कर लिया है। तीसरे का पीछा किया जा रहा था। ट्रंप ने कहा कि इस तेल का हम अपने लिए रणनीतिक उपयोग करेंगे अथवा बेच भी सकते हैं। अमरीका और वेनेजुएला के मध्य सीधा तनाव उस समय दिखा, जब अमरीकी सेना ने वेनेजुएला के समु्द्री तट से एक बड़े तेल टैंकर को जब्त कर अपने देश के समुद्री तट पर लगा लिया। अमरीका कहता रहा है कि वेनेजुएला उसके यहां बड़े पैमाने पर ड्रग्स पहुंचा रहा है। उसने आरोप लगाया है कि इस साजिश में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का हाथ है। दूसरी ओर मादुरो का कहना है कि ट्रंप वेनेजुएला में तख्तापलट करना चाहते हैं। मादुरो के आरोप और शंका को समझना कठिन नहीं है। इराक का उदाहरण सामने है, जब आज से 22 साल पहले दिसंबर में ही अमरीका के विशेष सैनिक दस्ते ने एक नाटकीय घटनाक्रम में राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को पकड़ लिया था। तब तीन वर्ष बाद 30 दिसंबर, 2006 को सद्दाम हुसैन फांसी पर चढ़ा दिए गए थे। माना कि 1990 में सद्दाम सरकार ने कुवैत पर हमला कर क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया था। इससे मध्य-पूर्वी देशों की पहल पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कुवैत पर हमले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। बाद में कुवैत से इराकी सेनाओं को हटाने के लिए अमरीका के नेतृत्व में सैन्य गठबंधन ने कार्रवाई की थी। फिर न्यूयार्क स्थित वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ और राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के नेतृत्व में इराक के खिलाफ हुई कार्रवाई जगजाहिर है।
खास बात यह है कि डॉनल्ड ट्रंप ने अभी सात महीने पहले ही देश के पूर्व राष्ट्रपतियों के दूसरे देशों के मामले में हस्तक्षेप की आलोचना की थी। उन्होंने 2003 में इराक में हस्तक्षेप की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा कि इस नीति से 'देश निर्माण' से कहीं अधिक देश तबाह हुए। ध्यान देने की बात है कि अब वही ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा और विश्व में शांति के नाम पर पूर्व राष्ट्रपतियों की राह पर चल पड़े हैं। मादुरो लगातार कहते रहे हैं कि ड्रग्स सप्लाई के आरोपों के पीछे हमारे तेल भंडार पर अमरीका की ललचाई नजर है। खुद अमरीकी ऊर्जा सूचना प्रशासन का मानना है कि वेनेजुएला के पास करीब 303 अरब बैरल कच्चा तेल मौजूद है। यह दुनिया के कुल तेल भंडार का पांचवां हिस्सा है। वेनेजुएला में सरकार परिवर्तन और समाजवादियों के प्रभाव के बाद तेल उत्पादन में कमी आ गई। वेनेजुएला ने अपने यहां अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियों के तेल निकालने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इससे अमरीका सहित कई देशों ने उस पर आर्थिक बंदिशें लगाई हैं। गैस के मामले में जो बाइडेन ने शेवेरॉन कंपनी को वेनेजुएला के लिए ऑपरेशनल परमिट दी थी। ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद इसे रद्द कर दिया। दोबारा इसे मादुरो सरकार को आय में से कोई हिस्सा नहीं देने की शर्त पर लागू किया गया। अब सवाल है कि अमरीका वेनेजुएला के ही तेल पर क्यों नजरें टिकाए है। वह खुद दुनिया का बड़ा तेल उत्पादक है।
भंडार के मामले में वेनेजुएला बड़ा केंद्र है। वहां भारी और कच्चे तेल के शोधन से डीजल, डामर और कारखानों के लिए ईंधन तैयार किया जा सकता है। इसके विपरीत अमरीका का हल्का और मीठा कच्चा तेल गैसोलीन बनाने के ही काम आया करता है। फिर वेनेजुएला अमरीका के निकट है। वहां से तेल लेना बहुत सस्ता है। यह वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन से ही सम्भव हो सकता है। अमरीका शक्ति सम्पन्न है। फिर भी वह भूल जाता है कि दुनिया की रणनीतिक व राजनयिक स्थितियों में बहुत बदलाव हो चुके हैं। उधर, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने वेनेजुएलाई राष्ट्रपति को फोन कर क्षेत्रीय संतुलन में उनके साथ होने का भरोसा दिया है। समस्याएं बातचीत से ही सुलझें तो बेहतर है। बड़ी बात है कि शांतिकामी दुनिया युद्ध की एक और आशंका से घिरी है।
Published on:
24 Dec 2025 01:42 pm
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