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बेहतर दुनिया और समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी हैं वॉलंटियर्स

डॉ. भुवनेश जैन निदेशक, नेहरू युवा केंद्र संगठन राजस्थान के सुदूर दक्षिणांचल का एक गांव देवगढ़ है, यहां युवा बहुओं का अपना एक संगठन है जिसने कोविड-19 में एक-दूसरे की खास तौर पर मदद की। युवा स्वयंसेवक (वॉलंटियर) भावना पालीवाल ने इस विचार के साथ गांव में पहल की कि गांव में करीब सभी बहुएं […]

जयपुरDec 09, 2024 / 10:18 pm

Sanjeev Mathur

डॉ. भुवनेश जैन निदेशक, नेहरू युवा केंद्र संगठन

राजस्थान के सुदूर दक्षिणांचल का एक गांव देवगढ़ है, यहां युवा बहुओं का अपना एक संगठन है जिसने कोविड-19 में एक-दूसरे की खास तौर पर मदद की। युवा स्वयंसेवक (वॉलंटियर) भावना पालीवाल ने इस विचार के साथ गांव में पहल की कि गांव में करीब सभी बहुएं दूसरे गांवों-क्षेत्रों से हैं। सभी के पास अपना-अपना विविध कौशल व ज्ञान है। ये गांव में एक-दूसरे को विभिन्न क्षेत्र के कौशल, ज्ञान, अनुभव का आदान-प्रदान करने के साथ महिलाओं के मुद्दों, स्वच्छता व वृक्षारोपण कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। अब ये एक-दूसरे के सुख-दु:ख की साथी बनी हुई हैं। कोविड-19 के दौरान दुनिया में करोड़ों स्वयंसेवकों ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से स्वैच्छिक कदम उठाकर मानवता, साहस व नि:स्वार्थ सेवा का परिचय दिया। आपदा-विपदा, आपातकालीन परिस्थितियों में जब-जब भी जरूरत पड़ी, दुनिया में स्वयंसेवक सेवा कार्य और सहयोग के लिए आगे रहे। अकाल, भूकंप, बाढ़, महामारी, हादसों की स्थिति में स्वयंसेवकों ने सामूहिक मानवीय चेतना की ज्योत को बनाए रखा है। स्वयंसेवक शांति, मानवता और विकास के पर्याय हैं। संयुक्त राष्ट्र ने स्वयंसेवकों की ताकत और महत्ता को समझते हुए दुनिया में सतत विकास 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्वयंसेवा को उसमें समाहित करने की जरूरत बताया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के सामने सतत विकास के लिए 17 बिंदुओं को रखा है जिससे धरती को सुरक्षित रखने के साथ-साथ असमानता को खत्म करने वाली एक सभ्य व विकसित दुनिया बनाई जा सके। जापान में बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एकीकृत देखभाल योजना, चीन में औपचारिक व अनौपचारिक स्वयंसेवा को बढ़ावा देने के लिए नेबरहुड म्युचुअल सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया है। जर्मनी में दी फाउंडेशन फॉर कमिटमेंट एंड वॉलियंटरिंग की स्थापना से देशभर के नागरिकों का जुड़ाव मजबूत हुआ है। कॉन्गो, यमन, सूडान जैसे देश महिला हिंसा के विरुद्ध सहयोग के लिए कानूनी और अन्य सहायता के लिए वॉलियंटर्स का उपयोग कर रहे हैं। रूस में मेडिकल छात्रों को शिक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों में तत्काल स्वयंसेवा के लिए प्रोत्साहित करने की योजनाएं संचालित हैं। गुयाना, नाइजीरिया, यूनाइटेड अरब अमीरात, उरुग्वे, ब्राजील सहित अनेक देशों ने राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक एजेंसी स्थापित कर खासतौर से युवा स्वयंसेवकों की उपयोगिता को इंगित किया है। सतत विकास के लिए अलग-अलग कौशल युक्त स्वयंसेवक जरूरी भी हैं ताकि समुदाय की जरूरत को पूरा करने में मददगार साबित हों। संयुक्त राष्ट्र स्वयंसेवक स्कीम के अंतर्गत इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए विविध कौशल पृष्ठभूमि के युवाओं को अवसर प्रदान किया जाता रहा है। दुनिया में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश उसी दिशा में आगे बढऩे का प्रयास कर रहे हैं। भारत में भी युवा एवं समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 31 अक्टूबर 2023 को माय युवा भारत पोर्टल का शुभारंभ किया है, ताकि युवाओं को सामुदायिक सेवा के अवसर मिल सकें और इन कार्यों के लिए संस्थागत तंत्र विकसित किया जा सके। इसके माध्यम से सरकारी, गैर सरकारी संगठनों, विभागों, युवाओं को एक प्लेटफार्म पर लाना है ताकि विकास में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके। एक वर्ष में डेढ़ करोड़ युवा इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। सेवा से सीखें कार्यक्रम से युवा जुडऩे लगे हैं। आने वाले समय में यह नवाचार दुनिया के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल बनने की तैयारी में है। देश में एक बड़ा वर्ग स्वयंसेवक के रूप में कार्य करने का इच्छुक है, जिसे उचित अवसर की तलाश है। स्वयंसेवा से स्वयंसेवक का खुद का और समुदाय व क्षेत्र का भी विकास होता है। विषम परिस्थितियों में स्वयंसेवक जीवनदाता बन जाता है। युवा, कार्यशील व्यक्ति और सेवानिवृत्त सभी वर्ग के लोगों को स्वयंसेवा के अवसर मिल सकें, ऐसी जरूरत है। स्वयंसेवा दुनिया को खूबसूरत बना देती है, ऐसी दुनिया बनाने के लिए स्वयंसेवक बहुत जरूरी है।

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