पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।
सरकार के साथ समाज भी संवेदनशील बने
घर में ही उपेक्षित और अवसाद के शिकार बुजुर्गों की संख्या हमारे देश में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे बुजुर्गों के लिए समाज और सरकार दोनों को पहल करनी चाहिए। उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का पर्याप्त ध्यान रखा जाए, खासकर मानसिक स्वास्थ्य पर। आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे बेसहारा बुजुर्गों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए राज्यों को भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहिए। बुजुर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की राशि को बढ़ाया जाए। वृद्धों के आर्थिक सशक्तीकरण पर भी बल दिया जाए। बुजुर्गों की मदद के लिए सरकार ही नहीं समाज और स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आना चाहिए। हमें समझना चाहिए।कि उम्र के इस पड़ाव पर सुकून और शांति की तलाश रहती है । बुजुर्ग ज्ञान और अनुभव का भंडार हैं। उनका ध्यान रखना सभी की जिम्मेदारी है।
-एकता शर्मा, जयपुर
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बुजुर्गों के साथ न हो दुव्र्यवहार
बुजुर्गों की मदद के लिए सरकार जो भी योजनाएं बनाएं, उन तक पहुंच आसान होनी चाहिए। निराश्रित बुजुर्गों की सहायता के लिए आश्रय घर खोले जाएं। कोई संतान मां-बाप के साथ दुव्र्यवहार न करे, इसका ध्यान रखा जाए।
ज्योति नरेन्द्र शास्त्री, बहरोड़, अलवर
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कड़ी कार्रवाई जरूरी
वृद्धों को सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। सरकार वृद्धों के लिए 'वृद्ध होमÓ स्थापित कर समुचित सुविधाएंं उपलब्ध करवाएं। ऐसी संस्थाओं को सरकार की ओर से सहायता दी जानी चाहिए। वृद्धावस्था पेंशन योजना की राशि बढ़ाई जाए। शिक्षित वृद्धों के अनुभवों का लाभ प्रौढ़ शिक्षा जैसी योजनाओं के लिया जाना चाहिए। उनको अंशकालीन रोजगार देना चाहिए, जिससे वृद्धजन व्यस्त रहें। हम वृद्धावस्था को जीवन की अनिवार्यता के रूप मे स्वीकार करें, न कि बोझ के रूप मे। वृद्धजन को बोझ समझने वालों और उनको परेशान करने वालों पर सरकार को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
-अमित कुमार मीना, सिकराय, दौसा
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बुजुर्गों के अनुभव का लाभ उठाएं
सरकार को ऐसे सामुदायिक केन्द्र खोलने चाहिए, जहां बुजुर्गों को शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल की सुविधा मिल सके। जो बुजुर्ग कार्य करने में सक्षम हों और जो अपने कार्यक्षेत्र का विशिष्ट ज्ञान / अनुभव रखते हैं उनके व्याख्यान करवाए जो सकते हैं। बतौर पारिश्रमिक उन्हें समुचित धनराशि देने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। प्राय: वृध्दजन अपनी निजी संपत्ति पर उनकी संतान द्वारा अवैध कब्जे का शिकार हो जाते हैं। उन्हें सरकार द्वारा कानूनी सहायता व दोषियों को सजा दिलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जिस परिवार में वृद्धों की सही ढंग से देखभाल नहीं होती है, ऐसे परिवार की शिकायत मिलने पर, दोषियों पर मासिक हर्जाना देने का का प्रावधान करना चाहिए।
- गजानन पाण्डेय , हैदराबाद
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ताकि जी सकें सम्मानजनक जीवन
सरकार को बुजुर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं, विशेष रुप से बेसहारा व परित्यक्त बुजुर्गों के भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य के देखभाल के लिए बहुआयामी सेवा केन्द्र स्थापित करने चाहिए। जो परिवार में रहते हैं, उनकी भी आर्थिक मदद की जानी चाहिए, जिससे कि बुजुर्ग लोग सम्मानजनक जीवनयापन कर सकें।
-उपेंद्र मिश्रा, सवाईमाधोपुर
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जरूरी है वित्तीय स्थिरता
सरकार को बुजुर्गों की वित्तीय समस्याओं को हल करने और लोगों को उनकी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायता करने के लिए कुछ योजनाएं बनानी चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण भी बुजुर्गों की दुर्दशा होती है।
-रोहित ठाकुर, इन्दौर
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घरेलू हिंसा के बारे में भी बात की जाए
बुजुर्गों को चिकित्सा सेवा घर पर ही उपलब्ध करवाई जाए। समय-समय पर घरेलू हिंसा/व्यवहार के बारे में वृद्धों से पूछताक्ष कर शिकायत दर्ज की जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
-राजकिशोर धिरही,जांजगीर, छत्तीसगढ़
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एनजीओ को प्रोत्साहन मिले
सरकारी स्तर पर बुजुर्गो के लिए घर बैठे मेडिकल केयर की सुविधाएं मिलनी चाहिए। इसके लिए व्यवस्थित और विश्वसनीय सिस्टम बनाया जाए। अमूमन भाग दौड़ की जिंदगी, करियर बनाने की होड़ में लोग अपने बुजुर्गों का ध्यान रखने में असमर्थ हो जाते हंै। या अन्य किसी भी वजह से बुजुर्ग अकेले हो जाते हैं। ऐसे मे सरकार को बुजुर्गों की देखभाल के लिए एनजीओ को प्रोत्साहित करना चाहिए। मनोरंजन,अध्ययन और अन्य कार्यों के लिए डे केयर सेंटर शुरू करना चाहिए
-शालिनी ओझा बीकानेर