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आपकी बात, शिक्षा एवं समृद्धि के बावजूद गृह कलह के मामलों में बढ़ोतरी क्यों हो रही है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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Mar 09, 2023
आपकी बात, शिक्षा एवं समृद्धि के बावजूद गृह कलह के मामलों में बढ़ोतरी क्यों हो रही है?

बनी रहती है कलह
एक दूसरे की भावना को न समझना, सबके सामने डांटना, रोजगार का न मिलना, व्यापार में नुकसान होना, ऑफिस की डांट की भड़ास घर के सदस्यों पर निकलना, घर के मुखिया या बड़े आदमी का कहना न मानना,घर के लोगों की बात न मानकर मोहल्ले के लोगों की बात मानना आदि कारण से घर में कलह बनी रहती है।
—श्रवणलाल बिंचावा, डीडवाना, नागौर
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एकल परिवार भी कारण
वर्तमान समय में पढ़े-लिखे समृद्ध व्यक्ति होने के बावजूद भी घरों में आपसी क्लेश बना रहता है। इसका एक कारण पश्चिम संस्कृति एवं विलासिता की ओर भागना है। एकल परिवार की वजह से भी गृह क्लेश के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ईगो हर्ट करना भी गृह क्लेश का प्रमुख कारण है।
—सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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अहंकार है मुख्य कारण
शिक्षा और समृद्धि के बावजूद भी गृहक्लेश बढ़ने का मुख्यकारण पढ़े-लिखे और समृद्ध व्यक्ति का अहंकारी होना ही नजर आता है। पढ़ालिखा व्यक्ति दूसरों को अपने से तुच्छ समझता है और समृद्ध वयक्ति की भी यहीं धारणा है। घर में आपसी कलह और प्रेम-भाव का अभाव भी इसी कारण होता है। अतः घर में आपसी गृहक्लेश रोकने के लिए सबको समान समझना होगा और घर के प्रत्येक सदस्य को अपना अहंकार छोड़ना होगा तभी घर आपसी प्रेमभाव बना रह सकता है।
—कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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आपसी तालमेल का अभाव
परिवार के सदस्यों के बीच तालमेल नहीं होने से गृह क्लेश होता है। परिवार के सदस्य एक दूसरे की भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं करते हैं, तो निश्चित रूप से घर में ग़ृह क्लेश होता है। सदस्यों को आपस में प्रेम बनाए रखने के लिए एक—दूसरे की भावना को समझने और सुनने का प्रयास करना चाहिए। एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना चाहिए, जिससे परिवार नहीं बिखरे।
—मीना सनाढ्य, उदयपुर
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मारपीट तक हो जाती है
इसमे कोई संदेह नहीं है कि शिक्षा के प्रचार-प्रसार से बड़ी आबादी शिक्षित हो गई है। शिक्षित होने से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। लोगों मे समृद्धि और संपन्नता भी आई है, परंतु शिक्षित होने के बावजूद, अब भी पिछड़ी है। छोटे—छोटे मामलों में भी आपस में मारपीट करने लगते हैं।
—नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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संस्कार तथा सामंजस्य ज़रुरी है
एक दूसरे से आगे निकलने की प्रवृत्ति घरों में झगड़े उत्पन्न करती है। शिक्षित होकर घमंड करना कलह का प्रमुख कारण बनता है। शिक्षा में संस्कार अति आवश्यक हैं। समृद्धि मेहनत, ईमानदारी और सच्चाई से मिली हो तो घर परिवारों में सुकून तथा शांति रहती है। अन्यथा अवैध तरीकों से प्राप्त समृद्धि क्लेश पैदा करती है। मात्र डिग्रियों से घर परिवारों में सुख—चैन नहीं होता है। दिमागी तौर पर भी संतुलित होना आवश्यक होता है। आपसी सामंजस्य होना जरूरी है।
प्रदीप कुमार छाजेड़, तिंवरी, जोधपुर
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स्वार्थ है बड़ा कारण
वर्तमान समय में लोगों के पास अपने रिश्तों के लिए समय नहीं है। लोग स्वार्थी हो गए हैं, गलत खानपान और खराब जीवनशैली की वजह से भी लोग तुनकमिजाजी हो गए हैं। इसकी वजह से पारिवारिक शांति भंग होती है। लोग अपने जरूरी कार्यों को पूरा करने के बाद भी मोबाइल गैजेट्स का उपयोग करने में लग जाते है
-नेहा गौतम, सवाई माधोपुर
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सहनशीलता की कमी
परिवार की सदस्यों में सहनशीलता की कमी हो रही है। परिवार में सभी के शिक्षित होने से अहंकार भी हावी रहता है और एक दूसरे को नीचा दिखाने की की प्रवृत्ति रहती है। कोई कम कमाता है, कोई ज्यादा कमाता हे तो यह भी कलह का कारण बनता है।
लता अग्रवाल चित्तौड़गढ़
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संवाद की कमी
परिवार में आपसी सामंजस्य की कमी आ गई है एवं अपने अपने वर्चस्व को कायम करने की होड़ लगी हुई है। यही अहं की भावना परिवार में टूटन पैदा कर रही है। परिवार के लोग आपस में बैठकर संवाद नहीं करते, जिसके कारण दूरियां बढ़ रही हैं। अधिक से अधिक धन संग्रह की प्रवृत्ति के कारण भी इंसान के जीवन का उल्लास खोता जा रहा है, जिसके कारण नफरत एवं अवसाद जैसी स्थिति पैदा हो रही हैं। इसीलिए गृह कलह के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
—सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़
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बढ़ गई स्वच्छता
आज शिक्षा और समृद्धि होते हुए भी लोग कलह का शिकार हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है। आज भौतिकता चरम पर है। दिखावा और स्वच्छंदता सबको चाहिए। पाश्चात्य संस्कृति ने रहन-सहन, खान-पान सब कुछ बदल कर रख दिया है। आपसी वैचारिक मतभेद कलह का कारण बन जाते हैं। एक दूसरे की भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया जाता, परिणाम स्वरूप आपसी रिश्ते टूट जाते हैं। कलह से हम तभी बच सकते हैं, जब भारतीय संस्कृति को अपनाएं और रिश्तो में एक दूसरे की भावनाओं को समझने का प्रयास करें। दिखावे की प्रवृत्ति से बचकर संतोषी प्रवृत्ति को अपनाएं, तभी हम सुख शांति से जीवन यापन कर सकते हैं और तभी आपसी रिश्ते मधुर बन सकते हैं।
—आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर

Published on:
09 Mar 2023 07:05 pm
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