पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
छोटी-छोटी खुशियों को साझा करें
विज्ञान व तकनीकी के बढ़ते प्रभाव व संवादहीनता के कारण नई व पुरानी पीढ़ी के बीच बेहतर संवाद के लिए सामाजिक ताने-बाने में सुधार की महत्ती आवश्यकता है। एकल परिवार की बजाय संयुक्त परिवार को बढ़ावा दिया जाए और परिवार के सभी लोग शाम के समय का भोजन साथ में बैठकर करें व अपनी दिनचर्या को एक-दूसरे के साथ साझा करें। साथ ही एकल परिवार अपनी व्यक्तिगत खुशियों यथा-सालगिरह, जन्मदिन आदि पर सम्पूर्ण परिवार के सदस्यों को आमंत्रित करें और सभी साथ मिलकर छोटी-छोटी खुशियों को साझा करें व उत्सव, त्योहार आदि का आनंद ले ताकि बच्चों व बड़ों के बीच संवाद की स्थिति अनवरत बनी रहें। - चूनाराम बेनीवाल, बालोतरा
परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए
दोनों पीढ़ियों द्वारा अपनी-अपनी उपयोगिताओं और आवश्यकताओं को समझना चाहिए। पुरानी पीढ़ी द्वारा परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए तथा सकारात्मक पक्षों का स्वागत करना चाहिए लेकिन इसके साथ ही नई पीढ़ी को भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और सभ्यता की अनवरत विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए। - दामोदर शर्मा, लूणकरणसर
अनुभवों को साझा करना जरूरी
पुरानी पीढ़ी के अनुभवों को नई पीढ़ी के साथ साझा करना आवश्यक है। इतिहास केवल अतीत का अध्ययन नहीं, बल्कि भविष्य के लिए बीज बोने का माध्यम है। हम संवाद को प्रोत्साहित करें। - टी एस कार्तिक, चेन्नई
संयुक्त परिवार प्रथा को महत्त्व मिले
आजकल नई और पुरानी पीढ़ी के बीच काफी अंतर आ गया है। इस दूरी को कम करने के लिए संयुक्त परिवार प्रथा को महत्त्व देना चाहिए। परिवार के बीच में रहकर ही नई और पुरानी पीढ़ी के लोग एक दूसरे के मनोभावों व क्रियाकलापों को समझेगें। दादा-दादी, नाना-नानी के किस्सों वाला माहौल फिर से निर्मित होना चाहिए। - साधना ब्यौहार, सिहोरा (मप्र)
पीढ़ी के बीज की खाई को पाटे
पुरानी और नई पीढ़ी के बीच, जो संवाद में तनाव होता है। उसे दोनों को समझदारी के दूर करने की आवश्यकता है। एक-दूसरे के बातों को समझे और एक दूसरे से संवाद कायम रखे। अगर एक दूसरे के बातों को महत्त्व देंगे तो दोनों पीढ़ी के बीच संवाद को कायम किया जा सकता है। संवाद के लिए दोनों पीढी को समझना होगा और एक दूसरे को सहयोग प्रदान करना होगा। - दिलीप शर्मा, भोपाल