भारत के तीन चौथाई लोग संसाधन विहीन है। ये लोग भूमिहीन हैं। ये शोषित मजूदर वर्ग हैं, केवल मालिकों की दया पर निर्भर हैं। देश—दुनिया के बारे में जानने के लिए समय नहीं है। रोजगार के लिए हजारों किलोमीटर दूर आना—जाना पडता है। केंद्र सरकार इनको बिना काम दिए पांच—पांच किलो अनाज देकर निकम्मा बना रही है। इन्हें जीने के लिए रोजगार चाहिए, जिससे इनकी आय बढ़ सके। ऐसे में विकसित भारत का सपना केवल दिखावा साबित होगा।
—अशोक कुमार शर्मा, जयपुर।
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आज़ादी के पचहतर बरसों के बाद भारत के पास, हर क्षेत्र में ढेरों उपलब्धियां हैं। फिर भी विकास कभी खत्म न होने वाली प्रक्रिया है। विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण रोजगार, पेयजल आदि मूलभूत क्षेत्रों मे बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
- नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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इसके लिए हमें अपनी जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना होगा। इससे संसाधनों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। सरकार को रोजगार व स्वरोजगार का सृजन करना पड़ेगा। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा जैसे सीएनजी, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का प्रयोग करना होगा। स्वरक्षा के लिए आधुनिक हथियारों से देश को लैस होना होगा। राजनीति में सुधार की बहुत आवश्यकता है।
— रोहिताश भास्कर, कोटपुतली, राजस्थान
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शिक्षा, किसी भी देश के विकास में प्रभावशाली भूमिका निभाती है। अपराध, शिक्षा की कमी के कारण होते हैं। राष्ट्र की प्रगति आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करके ही हो सकती है। शिक्षा केवल किताबी ही नहीं हो बल्कि यह मानव के कल्याण के लिए भी हो। ज्ञान आधारित शिक्षा अंहकार से मुक्त हो।
— प्रकृति पालीवाल, जयपुर
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विकसित भारत का निर्माण करने के लिए शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, रोजगार सृजन, और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है। बुनियादी ढांचे जैसे सड़क, बिजली, और इंटरनेट का विस्तार किया जाना चाहिए। स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर जोर देना, कृषि और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए।