बिलावल भुट्टो सितंबर में 30 साल के हो जाएंगे। वर्तमान में वो पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के मुखिया हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी पहली बार चुनावी समर में है। वह जनता के बीच उसी तरह का समर्थन और जनाधार पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं जो उनकी मां और दो बार पाकिस्तान की पीएम रहीं बेनजीर भुट्टो को 2007 में निर्वासन से वतन वापसी पर मिला था। ट्रिपल-पी के नेताओं को उम्मीद है कि बिलावल को लोगों का समर्थन मिलेगा। पाक सीनेट में विपक्ष की नेता शेरी रहमान का कहना है कि हमें उम्मीद है कि बिलावल के नेतृत्व में हमारी चुनावी मुहिम से देश की बड़ी युवा आबादी जुड़ेगी और देश में बढ़ते चरमपंथ, कुशासन और लोकतंत्र विरोधी कदम को पटलने के लिए अपना समर्थन देगी।
पाकिस्तान में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि बिलावल की चुनावी मुहिम में उनके पिता और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी फायदेमंद साबित होंगे या फिर एक बाधा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भ्रष्टाचार के बड़े आरोपों के कारण जरदारी की दागदार छवि से पार्टी को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी और विपक्ष के नेता इमरान खान भ्रष्टाचार के मुद्दे को इस चुनाव में जोर शोर से उठा रहे हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि चुनावों के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी में गठबंधन हो सकता है।
पाक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर पाकिस्तान में हंग असेंबली की स्थिति बनती है तो गठबंधन वार्ताओं के दौर में पूर्व राष्ट्रपति जरदारी अपने बेटे के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं। ये बात अलग है कि दोनों ही पार्टियां संभावित गठबंधन के बारे में अभी खुलकर बात नहीं करना चाहतीं। लेकिन इसकी संभावना से भी दोनों पाट्रियों के नेता इनकार नहीं करते हैं। पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक आमिर अहमद खान कहते हैं कि जरदारी चुनावी मुहिम से ज्यादा अपनी भूमिका चुनावों के बाद उभरने वाले परिस्थितियों में देखते हैं।
पीएमएल-एन के आसार कम
आपको बता दें कि अभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन सत्ता में है। नवाज शरीफ को हटाए जाने के बाद शाहिद खाकान अब्बासी देश के पीएम पद पर हैं। पार्टी के चेयरमैन नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ हैं। पीएमएल-एन की ओर वो पीएम पद के दावेदार हैं। 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में पार्टी के 188 सदस्य हैं। लेकिन शहबाज शरीफ के पीएम बनने की उम्मीद कम है। ऐसा इसलिए कि अभी तक के सर्वे में पीएमएल-एन को अपने दम पर बहुमत की उम्मीद कम है।