
भोजपुरी को मान्यता
पटना। वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस के उद्घाटन के अवसर पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने भोजपुरी में अपना संबोधन देकर भोजपुरी मूल के लोगों को गौरव से भर दिया। प्रवासी भारतीयों में भोजपुरीभाषियों का महत्व पहली बार इस तरह उभरकर सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में प्रविंद जगन्नाथ का भोजपुरी उद्बोधन इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि भोजपुरी को भारत में आधिकारिक भाषा की मान्यता नहीं मिली है, लेकिन यह मॉरीशस में आधिकारिक भाषा है।
मॉरीशस में लगभग 13 लाख लोग निवास करते हैं, इसमें से 60 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं और इनमें भोजपुरी भाषी लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। करीब 150 से 200 साल पहले इस देश में बिहार से मजदूर ले जाए गए थे। ये मजदूर वहीं बस गए, लौट नहीं पाए, लेकिन वहां गए असंख्य मजदूरों ने अपनी संस्कृति और बोली को नहीं छोड़ा। वर्ष 1968 में यूनाइटेड किंगडम ने मॉरीशस को आजाद किया और वहां पहले राष्ट्रपति शिवसागर रामगुलाम बिहारी मूल के ही थे। उनके पूर्वज या दादा हरिगांव, भोजपुर, बिहार से मॉरीशस गए थे। वहां गन्ने के खेतों में काम करके और बासी भात खाकर, मेहनत करके जो देश खड़ा हुआ, उसमें भोजपुरी के लिए भी सम्मान था।
वहां आधे से ज्यादा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बिहार मूल के रहे हैं। वर्ष 2013 में वहां के राष्ट्रपति राजकेश्वर प्रयाग जब अपने पूर्वजों के गांव वाजिदपुर, पटना आए थे, तो रो पड़े थे और कहा था, मुझे बिहारी होने पर गर्व है।
किन जिलों से गए थे ज्यादा मजदूर
बिहार के गया, छपरा, भोजपुर, गोपालगंज और चंपारण से ही ज्यादा मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में मॉरीशस ले जाए गए थे। इन इलाकों से गए मजूदरों ने केवल मॉरीशस ही नहीं, फिजी, त्रिनिदाद-टेबैगो, गुयेना, सुरीनाम जैसे देशों को बसाने में भी योगदान दिया। नेपाल, मॉरीशस के अलावा फीजी और सुरीनाम में भी भोजपुरी को मान्यता मिली हुई है।
Published on:
23 Jan 2019 02:40 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
पटना
बिहार न्यूज़
ट्रेंडिंग
