
डॉ. सरवत जहां फातमा (फोटो - फेसबुक)
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली भारी पराजय के बाद पार्टी के भीतर उठापटक तेज़ हो गई है। इसी माहौल के बीच शुक्रवार को बिहार महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सरवत जहां फातमा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित करते हुए भेजा और पार्टी की चुनावी रणनीति, विशेषकर महिलाओं को दिए गए सीमित प्रतिनिधित्व को लेकर गहरी निराशा व्यक्त की।
त्यागपत्र में फातमा ने लिखा, "मैं भारी मन लेकिन दृढ संकल्प के साथ बिहार महिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद से अपना त्यागपत्र दे रही हैं। इस निर्णय को लेते समय मेरे मन में पीड़ा भी है, पर मुझे लगता है कि परिस्थितियों के सामने नैतिक जिम्मेदारी लेना आवश्यक है।" उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि चुनाव में कांग्रेस द्वारा महिलाओं को मात्र 4% प्रतिनिधित्व दिए जाने से वह बेहद असंतुष्ट थीं। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इसे उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी का विषय बताया।
फातमा ने स्वीकार किया कि उनका उद्देश्य बिहार में महिला नेतृत्व को बढ़ाना, उन्हें अधिक भागीदारी देना और संगठन की आवाज़ को मजबूती से उठाना था। लेकिन इस चुनाव में यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। उन्होंने लिखा कि महिलाओं की भागीदारी सीमित होने से न सिर्फ संगठन का मनोबल गिरा, बल्कि पार्टी की सामाजिक प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़े हुए।
अपने पत्र में फातमा ने बताया कि अध्यक्ष बनने के बाद पिछले 28 महीनों में उन्होंने संगठन को बूथ स्तर तक सक्रिय करने के लिए कई बड़े अभियान चलाए। इनमें बूथ से लेकर जिला स्तर तक महिला कांग्रेस की टीमों का गठन, नियमित प्रशिक्षण शिविर, घर-घर संपर्क और सदस्यता अभियान और स्थानीय मुद्दों पर महिला मोर्चा की सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य चुनाव में महिलाओं की बड़ी भूमिका सुनिश्चित करना था, लेकिन टिकट वितरण ने पूरे समीकरण को कमजोर कर दिया।
त्यागपत्र में फातमा ने कहा कि कांग्रेस की पहचान हमेशा महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण से रही है। उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि महिला कांग्रेस का गठन महिलाओं को राजनीतिक शक्ति देने और उनके नेतृत्व को मजबूत करने के लिए किया गया था और वो इसी विरासत को आगे बढ़ाने में लगी रही है और आगे भी वे पार्टी के सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहेंगी।
त्यागपत्र में फातमा ने आगे कहा, "राहुल गांधी जी ने हमेशा नारी न्याय, आधी आबादी, पूरा हक और महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने की बाल बड़े दृढ़ता से उठाई है। परंपरागत रूप से बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षों को विधानसभा टिकट दिया जाता रहा है। लेकिन इस बार वर्तमान अध्यक्ष को टिकट न देकर इस परंपरा से अलग निर्णय लिया गया, जिसकी चर्चा संगठन के भीतर और बाहर दोनों जगह हुई।"
फातमा ने अपने त्यागपत्र के आखिर में लिखा, "यह बहुत दुख की बात है कि इतने गौरवशाली इतिहास वाली पार्टी में महिलाओं को सिर्फ़ 4% टिकट मिल रहे हैं। यह स्थिति उन लाखों महिलाओं के सपनों के साथ समझौता है जो कांग्रेस पार्टी को अपना सबकुछ मानती हैं। एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए, मैं इस सच्चाई को नजरअंदाज नहीं कर सकती। मैं यह इस्तीफा गुस्से में नहीं, बल्कि संगठन के प्रति ईमानदारी और महिला सशक्तिकरण के प्रति अपने कमिटमेंट की वजह से दे रही हूं। मेरा मानना है कि पद बदल सकते हैं, लेकिन संघर्ष और कमिटमेंट नहीं। मैं कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस की विचारधारा और महिलाओं के अधिकारों के लिए इसी ताकत से काम करती रहूंगी।"
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस की स्थिति को बेहद कमजोर कर दिया है। वर्ष 2020 में जहां कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार पार्टी सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई। पार्टी के कई वरिष्ठ चेहरे भी अपनी सीट नहीं बचा सके। इस हार की वजह से भीतर असंतोष बढ़ गया है। कई नेता खुलकर टिकट वितरण, गठबंधन प्रबंधन और चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
Updated on:
21 Nov 2025 02:24 pm
Published on:
21 Nov 2025 02:23 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
पटना
बिहार न्यूज़
ट्रेंडिंग
