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Bihar Voter List Update: वोटर लिस्ट विशेष गहन पनरीक्षण, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा

Bihar Voter List Update: बिहार में वोटर लिस्ट की समीक्षा करते हुए इसपर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन प्रमुख सवाल भी खड़े कर दिए हैं। विपक्ष इसे अपना हथियार बनाकर एक बार फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट (Photo- IANS)

Bihar Voter List Update: बिहार में वोटर लिस्ट की समीक्षा जारी रहेगा। चुनाव आयोग को इसकी सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि यह सब कुछ लोकतांत्रिक प्रक्रिया का निर्वहन करने के लिए किया जा रहा है।

विपक्ष को लगा झटका

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विपक्ष को करारा झटका लगा है। विपक्ष चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट की समीक्षा वाले कदम पर रोक लगाने की मांग कर रही थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कानून का हवाला देकर इसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी कई निर्देश दिए हैं।

समीक्षा पर रोक लगाने से इनकार

बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा (विशेष गहन पुनरीक्षण, SIR) पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का निर्वहन है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसलिए उसे ऐसा करने से रोका नहीं जा सकता।

विपक्ष को झटका

विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट से बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह जरूर कहा है कि पहचान के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को दस्तावेज के तौर पर स्वीकार किया जाना चाहिए।

कानूनी चुनौतियां

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन प्रमुख सवाल भी खड़े कर दिए। संभवत: इसपर अब बहस होगी। विपक्ष कोर्ट के इस सवाल को आधार बनाकर फिर से फिर से कोर्ट जा सकती है।

1 क्या निर्वाचन आयोग को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने का अधिकार है?
2 आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कितनी उचित और पारदर्शी है?
3 विधानसभा चुनाव (नवंबर 2025) से ठीक पहले ऐसा करना कितना उचित है?

28 जुलाई को होगी अगले चरण की सुनवाई

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई 2025 को विस्तृत सुनवाई करेगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। याचिकाकर्ता चाहें तो 28 जुलाई से पहले पुनः उत्तर दाखिल कर सकते हैं।

आधार कार्ड को लेकर लंबी बहस

आधार कार्ड को पहचान दस्तावेज के तौर पर सुनवाई के दौरान शामिल करने पर जोर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि आधार को हटाना कानून की मंशा के खिलाफ है, जबकि आयोग ने इसे अनिवार्य दस्तावेजों में शामिल नहीं किया था।

नागरिकता जांच पर विवाद

कोर्ट में सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क था कि यह पूरी प्रक्रिया नागरिकता की जांच जैसा है। जो कि चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। दोनों सीनियर वकीलों का कहना था कि नागरिकता प्रमाणन राज्य या केंद्र सरकार का काम है, न कि ये काम निर्वाचन आयोग का है।