शत्रुघ्न सिन्हा की राह आसान नहीं
शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा छोडऩे से क्या होगा?
शत्रुघ्न सिन्हा उस दौर में भाजपा के प्रचारक रहे हैं, जब भाजपा सत्ता से दूर थी। वे लालकृष्ण आडवाणी के प्रिय थे, उन्हें भाजपा ने दो बार राज्यसभा में भेजा, और उसके बाद वर्ष 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से ही जीते हैं। सिन्हा के भाजपा से बाहर निकलने पर भाजपा अपना एक बड़ा पुराना प्रचारक खो देगी। शत्रुघ्न सिन्हा बिहार के सबसे बड़े फिल्मी कलाकार हैं। एक ऐसे कलाकार जिसने हिन्दी सिनेमा जगत में अपना एक मुकाम बनाया। एक समय वे बिहार में भाजपा का चेहरा रहे हैं, लेकिन बिहार में भाजपा की गठबंधन राजनीति से शत्रुघ्न सिन्हा को शुरू से ही परेशानी हुई है। खासकर नीतीश कुमार के कारण शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक रफ्तार धीमी हुई है।
शत्रुघ्न सिन्हा की नाराजगी
केन्द्र सरकार में मंत्री न बनाया जाना, पार्टी में आडवाणी, यशवंत जैसे नेताओं की उपेक्षा इत्यादि के कारण शत्रुघ्न सिन्हा वर्ष 2015 में ही भाजपा के राजनीतिक शुभचिंतक नहीं रहे। उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश के महागठबंधन का साथ दिया था, उन्हें जीतने पर बधाई दी थी। शत्रुघ्न ने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को बाहरी बताया था और बाहरी बनाम बिहारी का नारा लगाया था। भाजपा तभी से आहत है, लेकिन शत्रुघ्न को पार्टी ने बाहर नहीं किया है।