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पटना

चार साल से नरेन्द्र मोदी का विरोध, लेकिन फिर भी भाजपा नेता हैं शत्रुघ्न सिन्हा!

वर्ष 2015 से ही भाजपा में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ बोल रहे शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी का बहुत नुकसान करके भी खुद को भाजपा नेता बता रहे हैं, वे भाजपा से बाहर कब जाएंगे?

पटनाDec 24, 2018 / 08:15 pm

Gyanesh Upadhyay

शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा छोडऩे से क्या होगा?

शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा छोडऩे से क्या होगा?

पटना। शत्रुघ्न सिन्हा आधिकारिक रूप से कब भाजपा से बाहर कदम बढ़ाएंगे, इसका बहुतों को इंतजार है। भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही शत्रुघ्न सिन्हा का भगवा झुकाव किसी से छिपा नहीं है। वे ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं। भाजपा से बहुत नाराजगी के बावजूद वे ट्विटर पर कुल १६ लोगों को फॉलो करते हैं, जिनमें से 12 भाजपाई हैं। अन्य पार्टी के नेताओं में केवल नीतीश कुमार हैं, जिनको सिन्हा फॉलो करते हैं। वे लालू या तेजस्वी को फालो नहीं करते।
आधिकारिक रूप से उन्होंने स्वयं को अभी भी भाजपाई बता रखा है और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को सलाह देने या आलोचना करने में वे कभी पीछे नहीं रहते हैं। वे नरेन्द्र मोदी को फालो करते हैं, लेकिन लालू प्रसाद यादव के साथ खड़े होने को लालायित हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ट्विट में लालू प्रसाद यादव को प्रिय पारिवारिक दोस्त बताया है। तेजस्वी यादव को बिहार का भविष्य बताने में वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ट्विटर के भाव को अगर देखें, तो शत्रुघ्न मानते हैं कि लालू के साथ जल्द से जल्द न्याय होना चाहिए। उन्होंने लालू की तारीफ करते हुए कहा है कि भले ही लालू का स्वास्थ्य बहुत अच्छा न हो, लेकिन उनका सेंस ऑफ ह्यूमर कायम है और वे ऊर्जा से पूरी तरह भरे हुए हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने सेंस ऑफ ह्यूमर को लालू प्रसाद यादव की विशेषता बताया है। लालू परिवार की तारीफ के अलावा उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद की भी तारीफ की है।
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शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा छोडऩे से क्या होगा?
शत्रुघ्न सिन्हा उस दौर में भाजपा के प्रचारक रहे हैं, जब भाजपा सत्ता से दूर थी। वे लालकृष्ण आडवाणी के प्रिय थे, उन्हें भाजपा ने दो बार राज्यसभा में भेजा, और उसके बाद वर्ष 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से ही जीते हैं। सिन्हा के भाजपा से बाहर निकलने पर भाजपा अपना एक बड़ा पुराना प्रचारक खो देगी। शत्रुघ्न सिन्हा बिहार के सबसे बड़े फिल्मी कलाकार हैं। एक ऐसे कलाकार जिसने हिन्दी सिनेमा जगत में अपना एक मुकाम बनाया। एक समय वे बिहार में भाजपा का चेहरा रहे हैं, लेकिन बिहार में भाजपा की गठबंधन राजनीति से शत्रुघ्न सिन्हा को शुरू से ही परेशानी हुई है। खासकर नीतीश कुमार के कारण शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक रफ्तार धीमी हुई है।

शत्रुघ्न सिन्हा की नाराजगी
केन्द्र सरकार में मंत्री न बनाया जाना, पार्टी में आडवाणी, यशवंत जैसे नेताओं की उपेक्षा इत्यादि के कारण शत्रुघ्न सिन्हा वर्ष 2015 में ही भाजपा के राजनीतिक शुभचिंतक नहीं रहे। उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश के महागठबंधन का साथ दिया था, उन्हें जीतने पर बधाई दी थी। शत्रुघ्न ने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को बाहरी बताया था और बाहरी बनाम बिहारी का नारा लगाया था। भाजपा तभी से आहत है, लेकिन शत्रुघ्न को पार्टी ने बाहर नहीं किया है।

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