
राजद में लालू प्रसाद यादव के परिवार का दशकों से दबदबा रहा है। (फोटो : AI)
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। इससे पहले राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर हलचल मच गई है। जहां एक तरफ युवाओं को मैदान में उतारने की बात हो रही है, वहीं कई मौजूदा बुजुर्ग विधायकों पर '70 पार' और 'वंशवाद' की तलवार लटकी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक 243 विधायकों में से 68 विधायक 65 साल से ऊपर के हैं, जबकि इनमें से 31 की आयु 70 पार है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव में दल युवा नेताओं को तरजीह दे सकते हैं। खासकर तब जब तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर जैसे युवा नेता अपनी पैठ बना रहे हैं। सत्ताधारी दल एनडीए और विपक्षी दलों के सामने यह चुनौती है कि क्या वे अपने बुजुर्ग और अनुभवी विधायकों पर दांव लगाएं या युवा और नए चेहरों को मौका दें?
बीजेपी और जदयू के लिए सबसे बड़ी चुनौती '70 पार' के फॉर्मूले को लागू करना है। अगर यह नीति लागू होती है तो एनडीए के 19 मौजूदा विधायकों का चुनाव लड़ना मुश्किल हो सकता है, जिनमें से जदयू 7 और बीजेपी के 12 हैं। जदयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव (79), हरि नारायण सिंह (80), पन्नालाल पटेल (77) जैसे दिग्गज नेता इस सूची में शामिल हैं। बीजेपी के भी कई अनुभवी नेता, जिनमें नंदकिशोर यादव और अमरेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं। वहीं राजद के 8 एमएलए और कांग्रेस के 3 विधायक हैं। भाकपा के एक एमएलए भी उम्रदराज हैं। ये सभी 70 की उम्र पार कर चुके हैं।
बीजेपी में पहले भी लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को 'मार्गदर्शक मंडल' में भेजकर 75 साल की अनौपचारिक रिटायरमेंट नीति लागू की जा चुकी है। हालांकि, जानकार बताते हैं कि इस नियम को अब खत्म माना जा रहा है। फिर भी युवा नेताओं को मौका देने की रणनीति पार्टी के भीतर चर्चा का विषय बनी हुई है। बिहार में पार्टी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में संगठन के पुनर्गठन में देरी भी कार्यकर्ताओं की बेचैनी बढ़ा रही है, जो लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं।
जो विधायक 65 से ऊपर के हैं, वे अपने बेटे-बेटी का नाम आगे बढ़ा रहे हैं ताकि सीट उनके पास ही रहे। यह बिहार की राजनीति में एक पुरानी समस्या है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 27% सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिनका ताल्लुक पॉलिटिकल फैमिली से है और यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से भी बड़ा है। राजद, जदयू और बीजेपी सहित ज्यादातर पार्टियां इसी पर चल रही हैं। राजद में लालू प्रसाद यादव के परिवार का दशकों से दबदबा रहा है। बीजेपी में भी सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर और अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत जैसे कई उदाहरण मौजूद हैं। चिराग पासवान और प्रिंस राज पासवान भी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
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Updated on:
16 Sept 2025 04:26 pm
Published on:
16 Sept 2025 04:15 pm
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