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Lockdown Effect: पटना का विश्वप्रसिद्ध हनुमान मंदिर पूरी तरह बंद, भक्तों के संकल्प पर संकट

जयपुर के राजा सवाई जय सिंह के कार्यकाल में जयपुर में आयोजित रामानंद संप्रदाय के साधुओं की 1713 ईस्वी में हुई कॉन्फ्रेंस के बाद देश भर में मुस्लिम आतताइयों द्वारा तहस नहस किए गए और कब्जा किए जा चुके हिंदु मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया। उसी दौरान...

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पटना

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Prateek Saini

Apr 07, 2020

Lockdown Effect: पटना का विश्वप्रसिद्ध हनुमान मंदिर पूरी तरह बंद, भक्तों के संकल्प पर संकट

Lockdown Effect: पटना का विश्वप्रसिद्ध हनुमान मंदिर पूरी तरह बंद, भक्तों के संकल्प पर संकट

प्रियरंजन भारती
पटना: पटना का विश्व प्रसिद्ध हनुमान मंदिर कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में पूरी तरह बंद है। इसके चलते हर दिन दर्शन के बाद ही अन्न—जल ग्रहण करने वाले हजारों संकल्पित व्यक्तियों के साथ लाखों भक्तों की श्रद्धा भक्ति पर भी पूरी तरह ताला लग गया है।


रामानंद संप्रदाय से जुड़े अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के बाद विश्व के इस सबसे पुराने हनुमान मंदिर में बंदी से भक्तों की आस्था बेशक कम नहीं हुई पर पूजा-पाठ और दर्शन पूरी तरह बंद हो गए हैं। तीन सौ सालों से अधिक के इतिहास में मंदिर पहली बार इतने लंबे समय तक बंद हुआ है। मंदिर में चढ़ावे और कर्मकाण्डों से होने वाली लगभग डेढ़ लाख की मासिक आय भी प्रभावित हुई है। रामनवमी के दिन भी इस बार बंदी के कारण पुजारियों के अलावा महावीर मंदिर का जीर्णोद्धार करने वाले और पूर्व चर्चित आईपीएस अधिकारी व महावीर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष चार्य किशोर कुणाल समेत लाखों भक्त प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान के दर्शन से वंचित रह गए। आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार ऐसा मंदिर के इतने पुराने इतिहास में पहली बार हुआ है।

सालाना बीस करोड़ की आय वाले प्राचीन हनुमान मंदिर में हर मंगलवार को पचास हजार और शनिवार को पच्चीस हजार से अधिक भारत दर्शन पूजन करने आते हैं। प्रतिदिन लगभग पंद्रह बीस हजार भक्तों का मंदिर में आकर दर्शन पूजन करने का सिलसिला लॉकडाउन में पूरी तरह ठप हो चुका है। रामनवमी के रोज ही यहां पांच लाख भक्तों से अधिक की संख्या हनुमान जी के दर्शन और लड्डू के भोग लगाने आती है।


जयपुर के राजा सवाई जय सिंह के कार्यकाल में जयपुर में आयोजित रामानंद संप्रदाय के साधुओं की 1713 ईस्वी में हुई कॉन्फ्रेंस के बाद देश भर में मुस्लिम आतताइयों द्वारा तहस नहस किए गए और कब्जा किए जा चुके हिंदु मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया। उसी दौरान संप्रदाय के अग्रणि साधुओं में एक स्वामी भावानंद जी के हाथों मंदिर का निर्माण 1720 ईस्वी के करीब कराया गया था। मंदिर में हनुमान जी के दो विग्रहों संकटहरण और मनोकामनापूरण की मूर्तियां एकसाथ स्थापित हैं। देश के हनुमान मंदिरों में इस तरह के विग्रहों की यह अनूठी मिसाल है। मंदिर में रोजाना हजारों के नैवेद्यम् लड्डुओं का भोग लगाना भी पूरी तरह ठप है।


आचार्य किशोर कुणाल बताते हैं कि हर दिन यहां आने वाले दर्शनार्थियों में करीब एक हजार ऐसे हैं जो बिना दर्शन के अध्यन जल नहीं ग्रहण करते। लॉकडाउन में यह सिलसिला भी रुक गया है।रामानुज संप्रदाय से जुड़े पुजारियों के द्वारा नियत समय पर निर्धारित पूजा बंद हुए मंदिर में हालांकि नियमित हो रही है। महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से कैंसर हॉस्पिटल, महावीर आरोग्यम संस्थान, महावीर वात्सल्य, महावीर नेत्रालय और महावीर हार्ट हॉस्पिटल जैसे चैरिटेबल संस्थान चलाए जा रहे हैं जिनमें मंदिर से एकतरफा दान दिया जाता है। इन संस्थाओं में महावीर न्यास की ओर एक हजार करोड़ से अधिक की लागत लगी है पर इन आरोग्यम संस्थानों में मंदिर सिर्फ देता आ रहा है,लेता कुछ भी नहीं है।कैंसर हॉस्पिटल में पुराने रोगियों का निःशुल्क इलाज होता है जबकि सार्थक हॉस्पिटल में हृदय में छेद वाले बच्चों का मुफ्त ऑपरेशन किया जाता है।