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मोतिहारी में ग्रामीण मतदाता तय करेंगे किसके सिर सजेगा ताज, बीजेपी मारेगी बाजी या महागठबंधन की होगी पुनर्वापसी

Motihari assembly elections 2025: कांग्रेस के गढ़ वाले मोतिहारी विधानसभा में अब बीजेपी का झंडा लहरा रहा है। 2005 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। पीएम मोदी की सभा के बाद इस क्षेत्र में चुनावी माहौल भी बनने लगा है।

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Motihari assembly elections 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर संभावित प्रत्याशी अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिए हैं। सोशल मीडिया के साथ साथ जमीन पर भी इनकी सक्रियता बढ़ गई है। लोगों से मिलने जुलने के साथ नुक्कड़ सभा तक का सिलसिला जारी है। बीजेपी का गढ़ माना जाने वाले मोतिहारी विधानसभा में शुक्रवार को पीएम मोदी की सभा के बाद यहां का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। पीएम मोदी शुक्रवार को बिहार को चार अमृत भारत ट्रेनों की सौगात दिया। इसमें से एक मोतिहारी को भी मिला। यह ट्रेन मोतिहारी से दिल्ली के लिए चलेगी।

कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी का दबदबा

मोतिहारी विधानसभा बीजेपी का गढ़ माना जाता है। बीजेपी से पहले इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। लेकिन, वर्ष 1980 के बाद कांग्रेस इस सीट पर फिर कभी नहीं जीत सकी। वर्ष 2005 में पहली बार यह सीट बीजेपी की झोली में आयी थी। इसके बाद से इस सीट पर बीजेपी (BJP) के जीत का सिलसिला जारी है। 2005 से 2020 तक इस सीट पर बीजेपी के प्रमोद कुमार ही लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। हर चुनाव में उनके जीत का अंतर बढ़ता ही गया है। जबकि इस सीट पर 2005 के बाद से आरजेडी (RJD) लगातार दूसरे स्थान पर रही है।

बीजेपी के सामने सीट बचाने की चुनौती

अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने की संभवना है। इससे पहले मोतिहारी विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन की ओर से अपने अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी गई है। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला होगा। मोतिहारी सीट पर 2020 का विधानसभा चुनाव में BJP कैंडिडेट प्रमोद कुमार ने 92348 वोट हासिल किया था, जबकि RJD प्रत्याशी ओम प्रकाश चौधरी को 77361 वोट मिले थे।

1952 से 1980 के बीच आठ में से सात बार कांग्रेस जीती

मोतिहारी विधानसभा का अस्तित्व वर्ष 1951 में आया। तब से लेकर अभी तक हुए इस विधानसभा सीट पर 17 बार विधानसभा चुनाव हुए। शुरू में यह विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। कांग्रेस 1952 से 1980 के बीच आठ में से सात विधानसभा चुनाव जीती थी। केवल 1969 में इस सीट पर भारतीय जनसंघ चुनाव जीत हासिल की थी।

कम्युनिस्ट पार्टी भी तीन बार जीती

लेकिन, 1980 के बाद मोतिहारी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ बन गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता त्रिवेणी तिवारी 1985 से 1995 के बीच लगातार तीन बार यहां से जीत अपने नाम किया। वर्ष 2000 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने यह सीट जीती, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी ने आरजेडी से यह सीट छिन लिया। तब से यह सीट भाजपा (BJP) का मजबूत गढ़ बन गया। 2005 से लेकर 2020 तक इस सीट से भाजपा के प्रमोद कुमार लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।

ग्रामीण मतदाता तय करते हैं जीत हार

मोतिहारी विधानसभा पर ग्रामीण वोटरों का ज्यादा दबदबा है। यहां 71.40% मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। जबकि शहरी मतदाताओं की संख्या मात्र 28.60% है। इस विधानसभा में अनुसूचित जाति के करीब 13.48% मतदाता हैं और मुस्लिम समुदायों के 13.30% के आस पास मतदाता हैं। 1 जनवरी 2024 तक, मोतिहारी में कुल 3,31,575 पंजीकृत मतदाता थे।