
बिहार में एनकाउंटर
पटना। बिहार पुलिस का अपना आंकड़ा बताता है कि इस वर्ष 2018 सितंबर के महीने तक पुलिस ने राज्य में एक बार भी अपराधियों से मुठभेड़ नहीं किया है। नीतीश कुमार जिस वर्ष 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, उस साल पुलिस ने 38 एनकाउंटर किए थे। इस वर्ष जब एनकाउंटर नहीं हुआ है, तो न तो कोई बड़ा अपराधी मारा गया है और एनकाउंटर में किसी से कोई हथियार बरामद हुआ है। नीतीश सरकार के विरोधियों को मौका मिल गया है, वे राज्य भर में हो रही हत्याओं को जोडक़र बता रहे हैं कि बिहार में प्रतिदिन 7 हत्या हो रही है। राजद नेता तेजस्वी यादव की मानें, तो बिहार में थू-शासन चल रहा है।
अपराधियों के पास एके 47
अपराधियों का दुस्साहस बहुत बढ़ा हुआ है। पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर इत्यादि में जो हत्याएं हुई हैं, उनमें एके 47 का इस्तेमाल अपराधियों ने किया है। और तो और, मुठभेड़ न करने को बिहार पुलिस अपनी कामयाबियों में गिना रही है।
तेजस्वी यादव का प्रहार
ट्विटर के जरिये राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा है, ‘मुजफ़्फ़ऱपुर में एक व्यापारी की गोली मारकर हत्या। बिहार में गाजर-मूली की तरह लोग काटे जा रहे है। चहुँओर गोलियों की तड़तड़ाहट से आम आदमी ख़ौफ़ में है। सीएम ने थानों की बोली लगा दी है। जातीय आधार पर पोस्टिंग हो रही है। भ्रष्ट नेताओं व पुलिसकर्मियों के लिए शराबबंदी कामधेनु गाय बन गयी है।’
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पुलिस हथियार जप्ती में आगे
बिहार पुलिस एनकाउंटर नहीं कर रही है, लेकिन अपराधियों से हथियारों की जप्ती के आंकड़े थोड़े ठीक हैं। इस वर्ष पुलिस 2415 देसी बंदूकें और 43 सामान्य बंदूकें बरामद कर चुकी है। इन बंदूकों में एके 47 कितने हैं, इसका आंकड़ा पुलिस ने अपनी कामयाबी में नहीं गिनाया है। बम की जप्ती पिछले वर्ष भी कम थी और इस वर्ष भी सितंबर तक मात्र 75 है। गौर करने की बात है कि जब नीतीश कुमार की सरकार बनी थी, वर्ष 2005 में 2084 बम बरामद किए गए थे।
नीतीश-लालू गठबंधन के बाद घटे एनकाउंटर
पुलिस के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार जब तक चली, तब तक अपराधी पुलिस का निशाना बनते रहे, लेकिन जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने हाथ मिला लिया, तब एनकाउंटर की संख्या घट गई। वर्ष 2014 में जहां पुलिस ने 12 एनकाउंटर किए थे, वहीं वर्ष 2015 में मात्र 2 एनकाउंटर हुए। वर्ष 2016 में 4, वर्ष 2017 में 5 हुए।
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सबसे बड़ी चिंता
इस वर्ष अवैध बंदूक कारखानों को पकडऩे का काम भी कम हो गया है। पिछले वर्ष जहां ऐसे 46 कारखाने पकड़े गए थे, वहीं इस वर्ष सितंबर तक मात्र 10 कारखाने पकड़े गए हैं। पिछले 18 वर्ष में कभी भी इतने कम अवैध कारखाने नहीं पकड़े गए। अत: यह चिंता की बात है कि जो कारखाने नहीं पकड़े जा रहे हैं, वहां कितनी भारी मात्रा में हथियार तैयार हो रहे होंगे। बिहार में वर्ष 2014 में लोकसभा और वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बिहार में एनकाउंटर
वर्ष 2001 - 41
वर्ष 2005 - 38
वर्ष 2010 - 8
वर्ष 2015 - 2
वर्ष 2017 - 5
वर्ष 2018 - 0
Published on:
22 Dec 2018 07:13 pm
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