
क्षेत्रवादी राजनीति
पटना। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अकेले नहीं हैं, उनकी तरह सोचने और बोलने वाले इस देश में बहुत हैं। बिहार के पिछड़ेपन के कारण विगत 25 वर्ष से बिहारियों को देश में कहीं न कहीं निशाना बनाया जाता रहा है।
कमलनाथ की गलतबयानी
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के लोग यहां आते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को जॉब नहीं मिल पाती है.
कमलनाथ लंबे समय तक केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं। यह उन्हें सोचना चाहिए था कि बिहार के लिए क्यों दूसरे राज्यों में जाते हैं। केन्द्र सरकार ने विकास के पूरे प्रयास किए होते, तो बिहार के लोगों को बाहर जाकर रोजगार खोजने की जरूरत क्यों पड़ती? बिहार को जानने वाले विशेषज्ञ भी यही कह रहे हैं कि बिहार क्यों पिछड़ा है, बिहार में रोजगार क्यों नहीं है, यह पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिंहराव और मनमोहन सिंह से भी पूछना चाहिए।
कमलनाथ के बयान की खूब निंदा हो रही है। उन्होंने यूपी-बिहार के लोगों को निशाना बनाया है, जबकि वे स्वयं कानपुर मूल के हैं।
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महाराष्ट्र में विरोध
शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे अपनी क्षेत्रवादी राजनीति के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारतीयों के खिलाफ पार्टी को खड़ा किया था, लेकिन उनका गुस्सा बाद के दिनों में बिहार और यूपी के लोगों के खिलाफ हो गया। उन्होंने एक बार बहुत गलतबयानी की थी, बिहारी अपने साथ बीमारी और लड़ाई लेकर आते हैं। एक बिहारी सौ बीमारी, दो बिहारी लड़ाई की तैयारी, तीन बिहारी ट्रेन हमारी, पांच बिहारी तो सरकार हमारी।
मुंबई में घृणा
शिव सेना की क्षेत्रवादी घृणा को एमएनएस बनाकर राज ठाकरे ने आगे बढ़ाया। उन्होंने बिहार के विरुद्ध हिंसा को भडक़ाया और बयान दिया, बिहार तक यह संदेश पहुंचना चाहिए, मुंबई में उनके लिए जगह नहीं बची है। शहर को नष्ट करने के बाद ये लोग गांव लौट जाएंगे, लेकिन हम कहां जाएंगे?
दिल्ली में घृणा
शीला दीक्षित तब दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं, उन्होंने पूरी लापरवाही के साथ कहा था, यूपी बिहार से होने वाले पलायन के कारण नई दिल्ली के मूलभूत ढांचे पर अतिरिक्त दबाव है।
कोटा में विरोध
कोटा में बड़ी संख्या में बिहार-यूपी के छात्र पढ़ते हैं। वहां भी छात्रों के बीच लड़ाई से विवाद पैदा हुआ। तो राजनेता कूद पड़े। भाजपा नेता भवानी सिंह राजावत ने पूरी गैर जिम्मेदारी के साथ कह दिया, बिहार के छात्र शहर के माहौल को खराब कर रहे हैं, उन्हें निकाल बाहर करना चाहिए।
और एक फेक न्यूज भी
जब नासमझ और निराधार घृणा का बाजार गरम हो, तो फेक न्यूज के जरिये घृणा की दुकानदारी करने वाले भी आगे आ जाते हैं। दक्षिणी दिल्ली से भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी के हवाले से अखबार की एक फेक कटिंग तैयार की गई, जिसमें रमेश बिधूड़ी को बिहारियों के खिलाफ जहर उगलते दिखाया गया। फेक न्यूज में वे बोल रहे थे - यूपी-बिहार के लोगों को दिल्ली से भगा देना चाहिए। यूपी-बिहार के लोगों से काम करवाओ और पीटकर भगाओ। इन लोगों ने दिल्ली को नरक बना रखा है।
जाहिर है, ऐसी क्षेत्रवादी घृणा से सावधान रहना चाहिए। विगत चार वर्ष में १० से ज्यादा लोग क्षेत्रवादी घृणा की वजह से मारे गए हैं।
Published on:
18 Dec 2018 09:02 pm
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