
फोटो सोर्स- पत्रिका
Demand for Parental Permission in Love Marriages Raised: हरियाणा और गुजरात में लव मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति का मामला अब मध्यप्रदेश में करणी सेना उठाने जा रही है। करणी सेना आगामी 21 दिसंबर को हरदा में 21 सूत्रीय मांगों को लेकर जनक्रांति न्याय आंदोलन करने जा रही है। करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने patrika.com से खास बातचीत की।
21 दिसंबर को होने वाले आंदोलन में करणी सेना की तीन सबसे अहम मांगे लव मैरिज करने वाले जोड़ों को माता-पिता की सहमति, आर्थिक आधार पर आरक्षण और तीसरा एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन की मांग की है। आंदोलन प्रदेशव्यापी किया जा रहा है। जब पत्रिका ने जीवन सिंह शेरपुर से पूछा कि आंदोलन के लिए हरदा ही क्यों तो उन्होंने बताया कि 6 महीने पहले जब पुलिस ने हरदा में करणी सेना पर लाठियां बरसाईं थी। उसी को लेकर हरदा में आंदोलन करने का फैसला लिया गया है।
उत्तर- 'हम तो चाहते हैं कि मध्य प्रदेश में भी लागू और पूरे हिंदुस्तान में लागू। क्योंकि जब माता पिता की संपत्ति पर बच्चों को अधिकार होता है तो उनके शादी का जो विषय है उस पर भी माता पिता का अधिकार होना चाहिए, क्योंकि माता-पिता की सहमति से यदि शादी होगी, उनकी सहमति लगेगी तो कोई भी इस प्रकार की समस्या नहीं होगी कि लव जिहाद जैसा मामला या उसके साथ कोई गलत काम हो जाए। '
'जिस प्रकार से हम देखते हैं कई बार लव मैरिज होते हैं और कई लड़कियां सूटकेस में मिलती है। कई लड़कों की हत्या होती है माता पिता की सहमति से होगी तो यह बंद हो जाएगा और इस प्रकार का जो आपसी आक्रोश आपस में फैल रहा है, तनाव फैल रहा है। यह भी बंद हो जाएगा, क्योंकि जब भी कोई लड़की या लड़का भी करेगा तो उसमें माता पिता की सहमति आने वाली होगी। माता पिता बच्चों का भला बुरा अच्छे से जानते हैं। जिस प्रकार से वो स्कूल में एडमिशन कराते हैं, हमारा तो हमसे पूछ भी नहीं कराते कि कौन से स्कूल में करना है। इस प्रकार से हमें अति शिक्षा के लिए वह गाइड करते हैं। वैसे ही हमारे जीवन के लिए भी उनका गाइडेंस बहुत जरूरी है और उनका आशीर्वाद बहुत जरूरी है।'
जवाब- 'हमारा तो शुरू से यही कहना है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण जिस प्रकार से ओबीसी में भी क्रिमिलेयक है, जिसकी आय ज्यादा है उसको मतलब ओबीसी में आरक्षण नहीं मिलता। जैसे स्वर्ण आरक्षण लाया ईडब्ल्यूएस उसमें भी जिसकी आय आठ लाख से ज्यादा है उसको इसका लाभ नहीं मिलता। वैसे ही एसटी और एसटी में भी क्रिमीलेयर होना चाहिए और आर्थिक आधार पर भी उन्हें आरक्षण होना चाहिए। क्योंकि गरीबी जाति देखकर नहीं आती और जो भी एसपी या कलेक्टर बन गए हैं, बड़े बड़े मंत्री के पदों पर हैं या बड़े-बड़े बिजनेसमेन हैं वो अब शोषित वंचित पीड़ित नहीं रहे हैं। उनको किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं। वो सरकारी सुविधाओं से वंचित है न ही उन्हें संघर्ष करने पड़ रहे हैं। वो अच्छे स्कूलों में, अच्छे कॉलेजों में पढ़ते हैं और वहीं के गरीब बच्चों के साथ उनका कंपटीशन होता है। जब आईएएस की एग्जाम होती है या कोई भी एग्जाम होती है तो वहां अमीर का बेटा भी उसमें बैठता है और गरीब का बेटा भी उसी में बैठता है। तो अमीर का बेटा जो है, कलेक्टर है या मान लो बड़ा बिजनेसमैन है या राजनेता है तो उसको कंपटीशन गरीब के बच्चे से करना पड़ता है। तो हम चाहते हैं कि जो गरीब है वो गरीब के साथ ही कंपटीशन करें, जो मध्यम वर्गीय मध्यम वर्ग के साथ कंपटीशन करें और जो अमीर है वो अमीर के साथ कंपटीशन करें।'
उत्तर-'यदि किसी दलित के साथ, किसी आदिवासी भाई के साथ एसटी का हो या एससी का हो, यदि उनके साथ कुछ गलत होता है तो बराबर कार्रवाई होना चाहिए। पर आप जो बोल रहे हो किसी भी निर्दोष को फंसना नहीं चाहिए। संविधान भी बोलता है कि दस दोषी बच जाए पर एक निर्दोष नहीं फंसना चाहिए। तो यह जो है एट्रोसिटी एक्ट इसमें जांच का प्रावधान नहीं होने की वजह से कई झूठे मुकदमा दर्ज होते हैं और युवाओं का भविष्य खराब हो जाता है। हम चाहते हैं कि जांच की व्यवस्था की जाए जो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि पहले जांच होनी चाहिए, फिर गिरफ्तारी होनी चाहिए। तो जांच की व्यवस्था हो जाएगी तो जो निर्दोषों के जो केस लड़ना पड़ते हैं, उन सालों साल केस लड़ने के बाद जब वह बरी होता है तब वह जो मूलभूत सुविधाएं होती जैसे कि उसका अधिकार है कि वह कोई एग्जाम दे रहा है, उसमें कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं बनेगा। क्यों नहीं बनेगा? क्योंकि वह उसके ऊपर एक झूठा मुकदमा दर्ज है और वह उसकी उम्र निकल जाएगी। उसके बाद उसका डिसीजन आ जाएगा न्यायपालिका में। तो कहीं ना कहीं युवाओं के साथ, उनके अधिकारों के साथ अनधिकार हो रहा है। तो हम यह चाहते हैं कि एसटी एसटी के भाई के साथ अत्याचार हो तो बराबर सजा होनी चाहिए, पर निर्दोष भी नहीं फंसना चाहिए। हम इसमें जांच की मांग जिसमें जांच की मांग करते हैं।'
उत्तर- 'हमने जितने भी आंदोलन करे हैं सब लोकतांत्रिक तरीके से किए हैं और शांतिपूर्ण तरीके से किे हैं। पिछली बार भी आपने देखा होगा। हरदा में जिस प्रकार से धोखाधड़ी का मामला हुआ है, एफआईआर कराई। पुलिस ने एफआईआर करी। उसके बाद जब अपराधियों के साथ सेटलमेंट की बात आई तब हमारे लोगों ने विरोध करा कि सेटलमेंट नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। हमें हमारा पैसा मिलना चाहिए और जिसने धोखाधड़ी करी उसको सजा मिलनी चाहिए और उसमें पैसे देने के बदले फंसना नहीं चाहिए, पर उसमें पुलिस ने दबावपूर्वक दबाव बनाने की कोशिश करी। जब हमारे कार्यकर्ता नहीं माने तो उनको लाठीचार्ज कर दिया और उनको जेल में डाल दिया गया। तब हम उनके न्याय के लिए गए तो हमारे साथ भी ऐसा ही किया गया।'
'मुझे शांति वार्ता के लिए बुलाया गया है कि आप इनको समझाइए, इनके साथ बैठ कर बात करके ये हम इन पुलिस अधिकारियों पर जिन्होंने लाठीचार्ज करा है उनके ऊपर कार्रवाई करेंगे। वहां जब हम पहुंचे तो हमारे साथ भी वो वो ही घटना उन्होंने दोहराई। हमारे साथ भी लाठीचार्ज करा, हमारे साथ भी मारपीट करी, क्रूरतापूर्वक करी। हमारे जो समाज का होस्टल है, छात्रावास है, उसमें घुस गए। जो पढ़ने वाले बच्चे जहां कोचिंग सेंटर में थे, उसके गेटों को तोड़ कर, जेसीबी से बाहर निकाल के मारा गया। उनको जेल में डाल दिया गया। तो यह कहीं ना कहीं लोकतंत्र की हत्या की गई और हमें भी जेल में डाल कर फिर हम पर भी दबाव बना गया कि आप इससे पीछे हटाओ। पर हम पीछे हटने वाले नहीं है। हमको न्याय चाहिए, जिन दूसरे पुलिसकर्मियों ने हमारे ऊपर, हमारे साथियों के ऊपर लाठीचार्ज करा है और क्रूरतापूर्वक करा उनके वीडियो भी है, एविडेंस भी है। वो एविडेंस के साथ जब हम बात कर रहे हैं तो सरकार को उस पर एक्शन लेना चाहिए और उन पुलिसकर्मियों को निलंबित करना चाहिए और उनके ऊपर न्यायिक जांच बैठानी चाहिए।'
उत्तर- 'जी मैं, पिछली बार चुनाव लड़ा था 2018 का । जिस प्रकार से सरकार ने धोखाधड़ी करी थी और हमारी बातों को मानने के बाद हमारे साथ खेल करा था तो उसके जवाब में मैं चुनाव लड़ा था। हां, यह बात है कि मुझे जनता का समर्थन नहीं मिला। इकतालीस हजार वोट ही मुझे मिले। पर फिर से मेहनत कर रहे हैं, दौड़ रहे हैं और अपनी आवाज को सड़क से सदन में ले जाने के लिए मजबूती से लड़ेंगे। जो पार्टी हमारी 21 सूत्रीय मांगे मानेंगे, हम उसके साथ जाएंगे।'
उत्तर- यदि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती और बात नहीं बनती, तो हमारा आंदोलन चलता रहेगा। आंदोलन कभी तब तक नहीं रुकते जब तक न्याय नहीं मिल जाता। अगर न्याय मिलता है, तभी यह खत्म होता है। हम पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे और 2028 चुनाव में करारा जवाब देंगे।
Published on:
19 Dec 2025 07:00 am
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