
ओणम समारोह कत्थक क्लासिकल डांस की प्रस्तुति हुई। भगवान की अराधना करती कथकली और मयूरभंज की प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। कथकली नृत्य करने वाला कलाकार 50 किलोग्राम का कॉस्ट्यूम पहनकर नृत्य पेश करता है।

चेहरे पर लगभग 7 फीट का मां काली के अलग अलग रूपों से सजा मुखौटा विशेष आकर्षण था। कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों ने समूह नृत्य प्रस्तुति दी।

केरल के कलाकारों ने 6 प्रस्तुतियों के माध्यम से संस्कृति की विविधता से रू-ब-रू कराया। मोहिनीअट्टम की इस प्रस्तुति में सीता स्वयंवर का प्रसंग दिखाया गया।

बढ़ाते हुए हाथों में तलवार लेकर और तीव्र गति से कलारिपयट्टू की प्रस्तुति दी गई। केरल के इस मार्शल आर्ट फार्म के बाद ही केरल मंदिरों में किया जाने वाला भद्रकाली नृत्य खास रहा।

केरल की संस्कृति और पराक्रम का दृश्य दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस प्रस्तुति में बताया गया कि केरल की संस्कृति और वहां का युद्ध कौशल प्राचीन है, जिसे कलाकारों के माध्यम से आज भी जीवंत रखा गया है।

कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों ने समूह नृत्य प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में बताया गया कि केरल की संस्कृति और वहां का युद्ध कौशल प्राचीन है, जिसे कलाकारों के माध्यम से आज भी जीवंत रखा गया है।