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नागौर के मिर्ची मेले पर ऐसा विश्वास, काफी दूर से आते खरीदार, शुद्धता ने बनाई पहचान

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Such faith in the chilli fair of Nagaur, buyers coming from far away places, purity made its mark

व्यापारियों ने बढ़ाई सुविधाएं, ग्राहक सालभर के लिए एक साथ करते खरीद सही चीज मिल जाती हैमेला मैदान के मिर्ची बाजार में शुद्ध और सही माल मिल जाता है। बाजार में जो मिर्ची मिलती है, उसमें मिलावट की आशंका रहती है, इसलिए मैं पिछले 18 साल से मिर्ची मेला मैदान के मिर्ची बाजार से ही खरीदता हूं।हुक्मीचंद चौहान, नागौर निवासी

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नागौर के मिर्ची मेले पर ऐसा विश्वास, काफी दूर से आते खरीदार, शुद्धता ने बनाई पहचान

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नागौर. जिला मुख्यालय के पशु मेला मैदान में पिछले कई वर्षों से लगने वाला मिर्ची बाजार ग्राहकों में विशेष पैठ बना चुका है। यहां शहर के साथ गांवों से भी लोग लाल सूखी मिर्ची खरीदने आते हैं और सालभर की खरीद एक साथ करते हैं।

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 समय के साथ व्यापारियों ने भी सुविधाएं बढ़ा दी हैं। पहले व्यापारी केवल सूखी साबूत लाल मिर्च रखते थे, वहां अब मिर्च के साथ धनिया, हल्दी, राई आदि मसाले भी रखने लगे हैं। यही नहीं ज्यादातर व्यापारियों ने अपनी अस्थाई दुकानों के आगे मसाले पीसने की चक्कियां भी लगा रखी हैं, ताकि ग्राहकों को हाथों-हाथ उनकी आंखें के सामने पीसकर दे सकें।

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अलाय से मिर्ची खरीदने आए अणदाराम जांगू ने बताया कि मिर्च तो गांव में भी मिलती है, लेकिन उसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है, यहां जैसी मिर्च चाहिए, मिल जाती है। देसी मिर्च खाने में अच्छी रहती है, इसलिए हर बार नागौर आकर मिर्ची मेले से ही खरीद करता हूं।

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मैं पिछले 25 साल से मिर्ची मसाले का काम कर रहा हूं। ज्यादातर देसी मिर्च जोधपुर जिले के गांवों में होती है। हालांकि पहले जो उत्पादन होता था, उसकी तुलना में अब 25 प्रतिशत रह गया है, इसलिए देसी मिर्च महंगी भी मिलती है। हम हर प्रकार की मिर्च रखते हैं, ग्राहकों को जो पसंद आए, वो खरीदकर ले जाते हैं। यहां शुद्धता की गारंटी देते हैं।दिनेश बेनीवाल, व्यापारी, पितासिया

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मेला मैदान के पास सड़क किनारे अस्थाई दुकानें लगाकर बैठे मिर्ची व्यापारी ज्यादातर जोधपुर जिले के रहने वाले हैं। व्यापारियों का कहना है कि देसी मिर्च ज्यादातर जोधपुर जिले गांवों में होती है, इसलिए कई किसान अपने खेत की मिर्च सीधे ग्राहक को बेचने के लिए यहां दुकान लगा लेते हैं, ताकि ग्राहकों को उचित दाम पर मिर्च मिले।

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एक व्यापारी ने बताया कि पहले पशु मेला समाप्त होने के समय मिर्ची बाजार लगता था, लेकिन अब पशु मेले के साथ मिर्ची बाजार लगता है और करीब छह महीने तक रहता है।

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 यहां से नागौर के साथ दूसरे जिलों के लोग भी निकलते समय मिर्च खरीदकर ले जाते हैं। कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके रिश्तेदार बाहर रहते हैं, उनके लिए यहां से मिर्च लेकर भिजवाते हैं।

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20 साल से ले जा रहेपिछले 20 साल से मेला मैदान में लगने वाले मिर्ची बाजार से ही मिर्च खरीदते हैं। यहां मनपसंद मिर्च मिल जाती है। साथ ही हमारी आंखों के सामने पिसाई होती है, जिससे शुद्धता का विश्वास रहता है।कंचन, नागौर निवासी

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देसी मिर्च खाने में अच्छीपीपाड़, बिराई, जोधपुर की मिर्च टॉप क्वालिटी की है, जो खाने व स्वाद में अच्छी रहती है। हालांकि कुछ लोग दूसरे राज्यों की मिर्च भी गांवों में घूम-घूमकर बेचते हैं, जिसके कारण देसी मिर्च का बाजार मंदा है।गणपतराम टाक, मिर्ची व्यापारी, पीपाड़ सिटी