
क्योंकि सुंदरता बर्बाद और सुविधाएं चौपट हो गई।

चबूतरा दरक कर टूटा है, यह कब गिर जाए…कह नहीं सकते।

यानी कि हर काम में कमीशनखोरी तालाब के नीलाभ गार्डन में छलक-छलक कर बाहर आ रही है।

अब तो स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा तक पहुंचना भी मुश्किल होता जा रहा है।

ऐतिहासिक बूढ़ातालाब का नीलाभ गार्डन : पाथवे धंसा, दरक कर टूटा सुकून का चबूतरा

राजधानी के जिस ऐतिहासिक बूढ़ातालाब के गौरव पर हम सब इतराते हैं, उसकी ऐसी दुर्गति हैरान कर रही है