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30 दिन में पूरी होगी हर मुराद, बस एक बार यहां आकर बोल दें… ‘गणपत्ति बप्पा मोरया’

locationभोपालPublished: Aug 27, 2019 11:35:10 am

Submitted by:

Devendra Kashyap

Ganesh Chaturthi 2019: 30 दिन में पूरी होगी हर मुराद, बस एक बार यहां आकर बोल दें… ‘गणपत्ति बप्पा मोरया’

Ganesh Chaturthi
भारत में भगवान गणेश ( Lord Ganesh ) की मंदिर हैं। उन सब में एक मंदिर ऐसा भी है, जिसके बारे में कहा जाता है यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है। लोग बताते हैं कि बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
गणेश जी का ये मंदिर महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, इसके नाम और निर्माण के पीछे के कुछ तथ्य हैं जो आपको जानने आवश्यक हैं। पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर का निर्माण दगडूशेठ हलवाई द्वारा कराया गया था। इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी लोगों के बीच बहुत प्रचलित है।
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दगडूशेठ गडवे एक लिंगायत व्यापारी और हलवाई थे, जो कोलकाता से आकर पुणे में बस गए थे। उन्होंने हलवाई के रूप में बहुत ख्याति पाई और लोगों ने उन्हें ‘हलवाई’ उपनाम दे दिया और इस तरह दगडूशेठ गडवे लोगों के बीच दगडूशेठ हलवाई के नाम से प्रसिद्ध हो गए। धीरे-धीरे दगडूशेठ एक समृद्ध व्यापारी और नामचीन हलवाई बन गए और भगवान की असीम अनुकम्पा उनपर बनी रही।
बताया जाता है दुर्भाग्य से, 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में प्लेग की महामारी में उनके बेटे का देहांत हो गया। अपने पुत्र की अकाल मृत्यु से शोकाकुल दगडूशेठ और उनकी पत्नी अवसादग्रस्त हो गए। तब उनके आध्यात्मिक गुरु श्री माधवनाथ महाराज ने उन्हें इस दुख से उबरने के लिए भगवान गणेश का एक मंदिर बनवाने का सुझाव दिया। इसके बाद, दगडूशेठ हलवाई ने पुणे में गणपति जी के मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर अपनी भव्यता और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होने के कारण प्रसिद्ध है।
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कहते हैं बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। कहते हैं यह मंदिर दगडूशेठ हलवाई और पुणे के गोडसे परिवार की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर वास्तुशास्त्र के लिहाज से बनाया गया है। मंदिर के मुख्य मंडप की दीवारों पर उभरी आदिशक्तियों की अद्भुत झांकी, प्रतीक है।
बप्पा स्वयं इस ऐश्वर्य में नहीं विराजते, बल्कि उनकी शरण में आने वाला उनका हर भक्त दरिद्रता और विघ्नबाधाओं से मुक्ति पाकर ऐसे ही ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। शास्त्रों में बप्पा यानी गणपति को पंचभूत कहा गया है। मान्यता है कि धरती आकाश, आग, हवा और जल की सारी शक्तियां इन्ही में समाहित है। यहां कोई मनन्त के लिए शीश नवाता है तो कोई बप्पा का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से आता है।
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इस मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फ़ीट उंची और 4 फिट चौड़ी, लगभग 8 किग्रा सोने से सुसज्जित प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण बड़ी ही खूबसूरती से किया गया है। निर्माण में विशेष शैली को उपयोग है। भगवान की पीठासीन प्रतिमा मंदिर के बाहर से ही दिखाई देती है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जय और विजय नामक दो प्रहरियों की संगमरमर की मूर्तियां स्थित की गई हैं।
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