
भारतवर्ष में पूजा स्थलों का भरमार है। शायद ही कोई ऐसा गली-मोहल्ला होगा, जहां धार्मिक स्थल नहीं होगा। कुछ तो इतने पुराने हैं कि जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के उदयपुर में है। बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 1100 साल पुराना है।
इस मंदिर का नाम सहस्त्रबाहु मंदिर है। वैसे इस मंदिर को लोग सास-बहू मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि आस-पास कभी मेवाड़ राजवंश की स्थापना हुई थी, जिसकी राजधानी नगदा थी। बताया जाता है कि यह मंदिर मेवाड़ राजवंश के वैभव को याद दिलाता है।
इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण राजा महिपाल और रत्नपाल ने करवाया था। 1100 साल पुरानी इस मंदिर का निर्माण रानी मां के लिए करवाया गया था। जबकि इसके बगल में एक और मंदिर का निर्माण करवाया गया था, जो छोटी रानी के लिए करवाया गया था।
इस देवता को समर्पित है 'सास-बहू' मंदिर
बताया जाता है कि सास-बहू मंदिर में त्रिमूर्ति ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश ) की छवियां एक मंच पर खुदी हुई है जबकि दूसरे मंच पर राम, बलराम और परशुराम के चित्र लगे हुए हैं। इतिहासकर बताते हैं कि मेवाड़ राजघराने की राजमाता ने मंदिर भगवान विष्णु को और बहू ने शेषनाग को समर्पित कराया था।
बताया जाता है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु की 32 मीटर ऊंची और 22 मीटर चौड़ी प्रतिमा थी। लेकिन आज के समय में इस मंदिर में भगवान की एक भी प्रतिमा नहीं है। अर्थात इस मंदिर परिसर में भगवान की एक भी प्रतिमा नहीं है।
सहस्त्रबाहु से बना 'सास-बहू' मंदिर
इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर में सबसे पहले भगवान विष्णु की स्थापना की गई थी। यही कारण है कि इस मंदिर का नाम सहस्त्रबाहु पड़ा। सहस्त्राबहु का मतलब होता है 'हजार भुजाओं वाले' भगवान का मंदिर। बताया जाता है कि लोगों के सही उच्चारण नहीं कर पाने की वजह से सहस्त्रबाहु मंदिर सास-बहू मंदिर के नाम से फेमस हो गया।
रामायण काल की घटनाओं से सजा है मंदिर
'सास-बहू' के मंदिर की दिवारों पर रामायण काल की अनेक घटनाओं से सजाया गया है। मंदिर के एक मंच पर ब्रह्मा, शिव और विष्णु की छवियां बनाई गई हैं, जबकि दूसरे मंच पर भगवान राम, बलराम और परशुराम के चित्र खुदे गए हैं। वहीं बहू की मंदिर की छत को आठ नक्काशीदार महिलाओं से सजाया गया है।
Updated on:
16 Nov 2019 12:03 pm
Published on:
16 Nov 2019 11:59 am
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