
वैसे तो हमारे देश में अनेकों ऐसे गणेश मंदिर भी हैं जो हमेशा श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने रहते हैं। भारत के उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक आंध्र प्रदेश के कनिपकम में स्थित विनायक मंदिर है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चोल वंश ने 11 शताब्दी में करवाया था और विजयनगर के शासकों ने वर्ष 1336 में इसका विस्तार किया।
बताया जाता है कि कनिपकम विनायक मंदिर के गर्भगृह में गणेश की मूर्ति को हर साल नया कवच पहनाया जाता है। ऐसा क्यों किया जाता है ये भी एक रहस्य है। जानकारी के लिए बता दें कि गर्भगृह में कई आकार के कवच रखे हुए हैं। लोगों का कहना है कि भगवान गणेश की इस मूर्ति की खासियत यह है कि जैसे-जैसे मूर्ति का आकार बढ़ता है, वैसे-वैसे पुराने कवच छोटे पड़ जाते हैं।
कहा जाता है कि स्वयंभू गणेश यहां आने वाले हर भक्त के पाप को हर लेते हैं। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कनिपकम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। मंदिर के अंदर सबको जाने की अनुमति नहीं है लेकिन अंदर पड़े कवचों की संख्या देख चमत्कार का अंदाजा लगाया जाता है।
बताया जाता है कि इस मंदिर में मौजूद विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। लोगों का मानना है कि प्रतिदिन गणपति की ये मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है। इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है।
कहा जाता है कि विनायक का एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें 50 साल पहले एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढ़ने की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया था। तब से लेकर अब तक कई भक्तों ने कवच भेंट की है।
बताया जाता है कि इस प्रतिमा के पास कुएं की ओर मुंह कर विनायक की शपथ लेकर लोग आपसी मसलों को भी हल करते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यहां ली गई शपथ किसी भी कानून या न्याय से बहुत बड़ी है। यही वजह है कि कनिपकम सिद्धि विनायक मंदिर की लोकप्रियता दूर दराज तक फैली हुई है।
Published on:
17 Dec 2019 03:49 pm
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